For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अगर तुम टूटने के दर्द को महसूस कर जाते (ग़ज़ल 'राज'

१२२२    १२२२    १२२२  १२२२

अगर तुम टूटने के दर्द को महसूस कर जाते

तो क्या खुद एक पल में टूटकर इतना बिखर जाते

 

रिदाएँ गर्द की जब तब हटाते आइनों से तुम

दिलों के फासले मिटते कई रिश्ते सँवर जाते

 

झुलसते जिस्म फसलों के उमड़ती प्यास धरती की

चिढ़ाते बेवफ़ा बादल इधर जाते उधर जाते

 

पहेली सी बने फिरते बड़े मदमस्त ये बादल

कहीं ख़ाली गरजते उफ़ कहीं हद से गुजर जाते

 

तुम्हारे झूठ के छाले लगे रिसने सफ़र लम्बा

सदाक़त की यहाँ है छाँव पल भर को ठहर जाते 

 

मुहब्बत के दरीचों से जरा सी धूप मिल जाती    

छतों की झिरकियाँ पटती मकाँ उनके सुधर जाते

 

जिया ख़ुर्शीद की उनकी तरफ भी मुस्कुरा देती  

उजाले उन अभागों के चिरागों में उतर जाते

 

ये कैसे फैसले मालिक कँही सूखा कँही जल-थल

न  चौखट पे तेरी आते  बता तू ही किधर जाते 

 

सदाक़त= सच्चाई

जिया---रोशनी/किरण /चमक  

ख़ुर्शीद—सूर्य

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

 

 

 

 

 

Views: 862

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 21, 2014 at 5:20pm

आ० डॉ. आशुतोष जी ,जब आप जैसे गंभीर पाठक रचना को मिलते हैं तो रचना स्वतः मुकम्मल हो जाती है ,इस होंसलाफ्जाई का और मेरी कलम में नव ऊर्जा भरने  का तहे दिल से शुक्रिया सादर . 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 21, 2014 at 5:15pm

आदरणीया राज जी ..आप की ग़ज़लों की एक अलग ही बिशेषता होती है ..हमेशा की तरह ये ग़ज़ल भी मुझे बेहद भाई ..कारण इस बार भी नूतन प्रयोग ताजगी और पाठको को सोच का एक आया आयाम देना है ..आपको ढेर सारी बधाई के साथ सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 21, 2014 at 5:14pm

आ० विजय निकोर जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से आभार आपका | 

Comment by vijay nikore on August 21, 2014 at 3:13pm

सुन्दर गज़ल के लिए बधाई, आदरणीया राजेश जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 21, 2014 at 9:11am

प्रिय जितेन्द्र भैया,आपकी प्रतिक्रिया हमेशा उत्साह वर्धक होती है मेरे लिए, आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ ,दिल से आभारी हूँ . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 21, 2014 at 9:09am

प्रिय सविता मिश्रा जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से आभार आपका | 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 21, 2014 at 8:36am

बहुत ही खुबसूरत गजल आदरणीया राजेश दीदी. हर शे'र तारीफ़ ए काबिल, दिली बधाई स्वकार कीजियेगा

Comment by savitamishra on August 20, 2014 at 7:38pm

bahut khubsurat didiji .saadr namste


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 20, 2014 at 7:25pm

आ० संतलाल करुण जी ,आप से दाद पाकर ग़ज़ल सार्थक हुई| तहे दिल से आभार आपका सादर. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 20, 2014 at 7:24pm

आ० श्याम नारायण वर्मा जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई हार्दिक आभार आपका.  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service