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अपने [कुण्डलिया]

अपने आँसू दे गए ,किया हमें बेहाल
नया साल लाये नई खुशियाँ करें कमाल /
खुशियाँ करें कमाल, दूर हों उलझन सारी
छाए नया बसंत, खिले अब बगिया न्यारी
सरिता करे गुहार, पूरे हों सभी सपने
करना रक्षा ईश ,बिछुड़े नहीं अब अपने//

...................................................

...........मौलिक व अप्रकाशित.............

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Comment by Saurabh Pandey on March 27, 2014 at 7:53pm

आदरणीया कल्पनाजी के सुझाव के अनुसार अपनी रचना को संशोधित करवा लें.

Comment by कल्पना रामानी on March 22, 2014 at 10:21am

मुझे भी यह जानकार अच्छा लगा सरिता जीकी आपने मेरे सुझाव का मान रखा, कुछ मित्र बुरा मान सकते हैं इसलिए तटस्थ ही रहती हूँ। लेकिन गलती को जानबूझकर अनदेखा करके पसंद व्यक्त करना भी मन को स्वीकार नहीं होता इसलिए टिप्पणियाँ कम ही करती हूँ।

Comment by Sarita Bhatia on March 22, 2014 at 9:55am

आदरणीय जितेन्द्र जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on March 22, 2014 at 9:55am

केवल जी आपने सही कहा हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on March 22, 2014 at 9:54am

आदरणीया दी हार्दिक आभार 

आप बहुत कम सुझाव देती हैं ,बहुत अच्छा लगा आज आपका मार्गदर्शन पाकर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 22, 2014 at 8:59am

बहुत सुंदर भावपूर्ण कुंडलियां, बधाई आदरणीया सरिता जी

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 21, 2014 at 10:54pm

आ0 सरिता जी, बहुत ही सुन्दर भावों से पूरित कुण्डलियां के लिए बहुत-बहुत बधार्इ स्वीकारें। आ0 रामानी दी जी का सुझाव अपनार्इए। सादर,

Comment by कल्पना रामानी on March 21, 2014 at 8:38pm

सरिता जी, बहुत सुंदर भावपूर्ण कुण्डलिया है, आपको हार्दिक बधाई। ...

सरिता करे गुहार, पूरे हों सभी सपने
करना रक्षा ईश ,बिछुड़े नहीं अब अपने//...इन पंक्तियों के सम चरणों में लय कुछ बाधित हो रही है सारे

इनको इस तरह कहकर देखिये-

सरिता करे गुहार, पूर्ण हों सारे सपने
करना रक्षा ईश , नहीं बिछुड़ें अब अपने//...यह केवल सुझाव मात्र है/सादर

Comment by Sarita Bhatia on March 21, 2014 at 8:21pm

आदरणीय नादिर जी हार्दिक आभार उत्साह बनाये रखें 

Comment by Sarita Bhatia on March 21, 2014 at 8:16pm

आदरणीय श्याम वर्मा जी हार्दिक आभार 

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