For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

OBO लाइव तरही मुशायरा-७ की सारी गज़लें एक साथ

Views: 1451

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रवि बेक on February 18, 2011 at 6:45pm
जय भारत!
मन प्रशन्न हो गया। धन्यवाद।
आप जैसे लोगोँ को ही इस देश को सख्त जरूरत है
आपने सभी को एक साथ एक जगह मिलाया है उसे तरह हमारे देश को भी एक सूत्र मेँ बांधना है।
Comment by nemichandpuniyachandan on January 31, 2011 at 11:37am
Marvellous, Shree Ranapratapsinghji,Mushayara-7Ki sari Gazalen Ek sath,this is a very costly present,many thanks.
Comment by nemichandpuniyachandan on January 31, 2011 at 11:16am
Marvellous,shree RanapratapSinghJi,Mushayara-7 ki saari Gazalen Ek Saath,This is a Very Costly Present.many thanks.
Comment by Abhinav Arun on January 30, 2011 at 7:40pm
वाह राणा जी क्या खूबसूरत कलेवर में परोसा है आपने तरही -०७ को | बधाई  ही बधाई हम सब की ओर से |आपके परिश्रम को साधुवाद | ओ.बी.ओ. निश्चित ही अपने विकास के पथपर अग्रसर है |
Comment by वीनस केसरी on January 29, 2011 at 9:59pm

जय हो,

दिल खुश कर दित्ता 

Comment by nemichandpuniyachandan on January 29, 2011 at 9:22pm
shree,ranapratap singh ji,namaskar,Aap Dawara Housala-afzai ke liye Dhanywad

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 29, 2011 at 8:53pm
राणा जी बहुत बहुत धन्यवाद, सभी ग़ज़लों को एक जगह और इस खूबसूरती से आपने प्रस्तुत किया है कि दिल से वाह वाह निकल रहा है |
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 29, 2011 at 6:10pm
वाह वाह वाह राणा भाई। सारी ग़ज़लें एक साथ मिल गईं मजा आ गया। जो कुछ छूट गया था वह भी पढ़ लिया। बहुत बहुत धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service