For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विसंगति ... विजय निकोर

विसंगति

अंतरंग मित्र

हितैषी मेरे

हँसती रही हैं साँसें मेरी

स्वप्निल खुशी में तुम्हारी

सँजोए कल्पना की दीप्ति

फिर क्यूँ तुम्हारी खुशी के संग

यूँ उदास है मन

आज

अपने लिए ...?

यादों के झरोखों के इस पार

पावन-समय-पल कभी भटकें

कभी लहराएँ, मंडराएँ

ले आएँ रश्मि-ज्योति द्वार तुम्हारे

हँस दो, हँसती रहो, तारंकित हो आँचल

मुझको तो अभी गिनने हैं तारे

सुदूर-स्थित विविध अँधेरों में

रात-बेरात

आज और कल और परसों, और ...

भीगा है रूमाल

कोरों में किरकिरी

और धँसता चला आ रहा है

वीरान आँखों से अंदर

धुँए का अनन्त बवंडर

अनुभव ? कैसा अनुभव ? ... यही...

रक्तधार में पीड़ा तुम्हारी

पीड़ा में जमी रक्तधार

मेरी ... ठंडी गहरी

टप-टप टपकती

रोती रात की उदासी

मन आवारा अकारण अधीर

न ठहरता, न डूबता है

मुझमें मेरा विश्वास

बस टूटता है

चिपक गई है उदासी

गरम कोलतार-सी

आस्था के चेहरे पर

हाय, अब दीए की लौ-सा

क्यूँ काँपता है मन

झूठ था क्या ? झूठा था मैं ?

कि खुशी तुम्हारी मेरी खुशी है ...

               --------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 677

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on November 4, 2013 at 2:20pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय विजय जी।

स्नेह बनाए रखें।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on November 4, 2013 at 2:17pm

//मर्म में लिपटी इस अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई//

प्रोत्साहन के लिए आपका आभारी हूँ, आदरणीय सुशील जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on November 4, 2013 at 2:15pm

//इस मार्मिक प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई//

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, डा० मिश्र जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on November 4, 2013 at 2:13pm

//बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति//

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय अरून जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on November 4, 2013 at 2:11pm

आदरणीय सौरभ जी, आपके कहे पर ज़रूर ध्यान दूंगा। आपका हार्दिक धन्यवाद।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on November 4, 2013 at 2:08pm

//अपनी अनूठी गहरी अनुभूति का सजीव चित्रण यहाँ स्पष्ट देखने को मिल रहा है,//


आपकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक और प्रेरक है मेरे लिए। आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय जितेन्द्र जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 28, 2013 at 5:36am

//मार्मिक भाव मे भीगी अनुभूति को दर्शाती हुयी रचना//

 

रचना की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ, आदरणीया गीतिका जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 28, 2013 at 5:33am

//सुन्दर आंतरिक अनुभूतियों को बहुत अच्छी तरह शब्द दिए हैं आपने//

 

ऐसी सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय गिरिराज भाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 26, 2013 at 7:24am

//वाह अनुपम चित्रण//

सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार, आदरणीय राम जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 25, 2013 at 1:07pm

//अनुभूति के मर्म को बयां करती रचना, बहुत सुन्दर।//

 

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय केवल प्रसाद जी।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
11 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service