For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरा रुपैया
बढती मँहगाई
कौन खेवैया !..........१

भ्रष्ट समाज
कलुषित है सोच
बेमानी आज. !..........२

शिशु मुस्कान
खिले अन्तकरण
फूल समान !.............३

अक्स तुम्हारा
चमकता चन्द्रमा
सबका प्यारा !............४

भगवा वस्त्र
ठगी है मानवता
उठाओ शस्त्र ! ...........५

विषाक्त मन
निकालो समाधान
व्याकुल हम !.............६

सोचो तो जरा
सुरक्षित कहाँ धी
बेमौत मरा ! ..............७

मौलिक व अप्रकाशित

प्रवीन मलिक................

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2013 at 11:24am

आ० परवीन जी 

बहुत खूबसूरत हायकू 

अंतिम हायकू पर एक बार पुनः गौर कर लें..

हार्दिक शुभकामनाएं ..

Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 12:34pm
सादर धन्यवाद अरुन जी हौसलाअफजाई के लिए ....
Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 12:33pm
आदरणीय लक्षमन लाडीवाला जी सादर आभार आपके स्नेह के लिए ...
Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 12:31pm
आशिष नैथानी जी सादर धन्यवाद ...
Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 12:30pm
रविकर जी
सादर धन्यवाद
आप पधारे !!

पाकर स्नेह
प्रसन्न हूँ बहुत
गुणीजन का !!
Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 12:23pm
आदरणीय महिमा जी बहुत बहुत धन्यवाद ..
Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 12:22pm
आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी हृदयतल से आभार समय देने के लिए ..
Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 12:20pm
आदरणीया अन्नपूर्णा जी हार्दिक धन्यवाद !
Comment by अरुन 'अनन्त' on September 23, 2013 at 4:00pm

वाह आदरणीया हाइकू पर आपका प्रयास बेहद सुन्दर है सही दिशा में है प्रयासरत रहें इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 23, 2013 at 3:50pm

सुन्दर रचे                    गिरा रुपैया 

सभी है सामयिक            बढ़ गया डालर 

मन को भाये                  किसका दोष 

हार्दिक शुभकामनाए परवीन मालिक जी | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service