For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महिमा पैसो की

******************************

पर पैसो के मैने तो देखे नही ।

फिर क्यू वो कही पे ठहरता नही ॥

पकडते है दोनो हाथो से सभी ।

पर पकड मे किसी के वो आता नही ॥......... फिर क्यू वो कही पे ठहरता नही ॥

पूजता है मन्दिर मज्जिद मे यही

ये खुदा से बडा तो होता नही ।

पर खुदा से कम भी वो होता नही ।।......... फिर क्यू वो कही पे ठहरता नही ॥

अपनो को दुश्मन बनाता यही ।

दुश्मन को अपना बनाता यही ॥

पर किसी का सगा भी वो होता नही ॥ ........ फिर क्यू वो कही पे ठहरता नही ॥

खनक पे इसकी नचते सभी ।

देख कर इसको बिकते सभी ।

पर खरीददार सम इसके होता नही ॥......... फिर क्यू वो कही पे ठहरता नही ॥

दूर हो तो भी चिंता बढाता यही ।

नये नये सपने सुहाने दिखाता यही ।

पर पास जिसके है वो भी सोता नही ॥......... फिर क्यू वो कही पे ठहरता नही ॥

हकिकत यही है फसाना यही ।

जिन्दगी का हर तराना यही ।

पर कभी सुर मे ये होता नही ॥......... फिर क्यू वो कही पे ठहरता नही ॥

लिये हाथ खाली आये सभी ।

पाने को इसको बौराये सभी ।

पर भरे हाथ जग से कोई जाता नही .... ॥......... फिर क्यू वो कही पे ठहरता नही ॥

"मौलिक व अप्रकाशित"

31/07/13 

Views: 337

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत नेमा on August 1, 2013 at 12:51pm

आ0 बिजय जी आज की  यही हकिकत है .....आप ने रचना को समय दिया ..तहेदिल से शुक्रिआ ..धन्यवाद ....

Comment by विजय मिश्र on August 1, 2013 at 10:33am
एक पुराना गीत है -- ठन ठनाठन ठन पर सारी दुनिया डोले रे ..... ---
"हकिकत यही है फसाना यही ।
जिन्दगी का हर तराना यही ।
पर कभी सुर मे ये होता नही ॥" -- मगर ताज्जुब है कि ये बेसुरा राग ही लोगोंको अतिकर्णप्रिय है . बधाई बसंतजी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
22 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service