For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुविधा 
बेटा तुम्हारी माँ की तबियत ठीक नहीं है तुम्हे देखना चाहती है .पिता ने फोन पर बेटे से गुजारिश सी की।
हाँ पापा मुझे भी माँ को देखने आना है अगले हफ्ते दो छुट्टी हैं उसमे आने की सोच रहा था लेकिन रिजर्वेशन नहीं मिल रहा है।बेटे ने अपनी मजबूरी बताई।वैसे में कोशिश कर रहा हूँ अगले महीने फिर दो छुट्टी एक साथ आ रही हैं अभी से रिजर्वेशन देख कर रखता हूँ अगर कोई इम्पोर्टेन्ट मीटिंग नहीं रही तो अगले महीने आता हूँ।आप माँ का ख्याल रखिये।
ठीक है बेटा पिता कुछ कहते कहते इतना ही कह पाए।
अगला महिना आने से पहले ही माँ चल बसीं।बेटे को सूचना दी गयी।बेटे ने ताबड़तोड़ प्लेन का टिकिट बुक करवाया और वर्किंग डे में ही अंतिम संस्कार से पहले माँ के दर्शन करने पहुँच गया।

 kavita verma 

aprakashit aur moulik 

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on May 11, 2013 at 1:40pm

अच्छी है। बधाई!

Comment by Kavita Verma on May 11, 2013 at 1:30pm

aap sabhi aadarneey jano ka bahut bahut abhaar ....

Comment by Savitri Rathore on May 11, 2013 at 12:39pm

मर्मस्पर्शी रचना ............सुन्दर प्रयास !

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 10, 2013 at 5:14pm

मार्मिक रचना हेतु सादर बधाई 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 10, 2013 at 12:07am

बिलकुल सही दूरियाँ या मजबूरियाँ हो तब ऐसा होता है. सुन्दर मार्मिक रचना. 

Comment by coontee mukerji on May 9, 2013 at 11:03pm

कविता जी , ऐसे लोग तब पछ्ताते जब उनकी संतान उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं, ऐसी घटनाएँ अब एक फेंन्शन बन गया है . सादर /

कुंती.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 9, 2013 at 10:32pm

आ0 कविता जी,  वास्तव में हम अत्यधिक सुविधाओं में अपना वजूद ही खो बैठे हैं।  अतिसुन्दर कहानी। तहेदिल से हार्दिक बधाई स्वीकारें।   सादर,

Comment by manoj shukla on May 9, 2013 at 6:37pm
यह आज का कटु सत्य है और आपकी यह रचना सीधे ह्रदय को चोट करती है. आदर्णीया ...सादर बधाई स्वीकार करें
Comment by KAVI DEEPENDRA on May 9, 2013 at 2:40pm

आज कल की बेहद कड़वी सच्चाई......बहुत खूब मोहतरमा.....बधाई....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service