For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंच के सामने आठ दस लोग कुर्सियों पर बैठे थे। सफेद झक कुर्ता पायजामा पहने छरहरे बदन का एक युवक मंच पर खड़ा भाषण दे रहा था, ‘आज हमारे देश को भगत सिंह के आदर्शों की जरूरत है……..।‘ भाषण खत्म होने पर संचालक ने घोषणा की, ‘थोड़ी ही देर में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारम्भ होंगे।‘

कुछ देर बाद एक युवती रंग बिरंगी वेशभूषा में मंच पर आयी और उसने एक गीत पर नृत्य आरंभ कर दिया ‘……चिकनी चमेली……’

भीड़ धीरे धीरे बढ़ने लगी थी।

सीटियां बज रही थीं।

भगत सिंह शहीद हो चुके थे। चमेली महक रही थी।

.

                                - बृजेश नीरज

 

Views: 853

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on August 19, 2013 at 5:56pm

आदरणीया गीतिका जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by वेदिका on August 19, 2013 at 4:08pm

दिग भ्रमित लोग ही देश का संचालन कर रहे है, न जाने ये रथ कहाँ जा गिरे।
बधाई आपको आदरणीय बृजेश जी! आपने इस संवेदन को भाषित किया।   

Comment by बृजेश नीरज on April 15, 2013 at 6:50pm

आदरणीय योगराज जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद!


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on April 15, 2013 at 5:55pm

लाजवाब लघुकथा - मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें बंधुवर.

Comment by बृजेश नीरज on April 8, 2013 at 9:53pm

आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by Meena Pathak on April 8, 2013 at 7:45pm

यही हो रहा है आज काल .. इस सार्थक लघुकथा के लिए बधाई बृजेश जी 

Comment by बृजेश नीरज on April 4, 2013 at 6:17pm

आदरणीय प्रदीप जी आपका आभार!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 4, 2013 at 4:12pm

बदलते परिवेश में बदल गया देश 

ऐसा हो भी रहा है .

बधाई 

आदरणीय सिंह साहब जी 

सादर 

Comment by बृजेश नीरज on March 31, 2013 at 9:45pm

आदरणीय निकोर साहब आपने सत्य कहा लेकिन समस्या और विकट तब हो जाती है जब लोग प्रेय को ही श्रेय समझने लगते हैं। 

Comment by बृजेश नीरज on March 31, 2013 at 9:41pm

आदरणीय प्राची बहन आपका बहुत आभार! रचना आपको पसन्द आई मेरा लिखना सार्थक हुआ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service