For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जामवंत ने याद दिलाया, सारी शक्ति पास बुलाया!

तुम हो धीर वीर बलवाना, तुम्हरे गुरू सूर्य भगवाना!!
पवन पुत्र तुम वेगि समाना, इन्द्रादि सब करे प्रनामा!
तुम्ह सागर को तालहि मानो, आप ही सकल बृह्महि जानो!1 बम बम..

काल कूट हर अमृत धारो, भूत प्रेत पटक कर मारो!
तुम हो अटल ज्ञान के राशी, दुष्ट दानव सबके गल फाॅसी!!
तुम हो सब संकट से पारा, सब गुन आगर करो विचारा!
लॅाघि करो तुम सागर पारा, जयति राम श्री राम पुकारा!!2 बम बम..

सुरसा मॅा को बहुत छकायो! लंकिनी को झट मार गिरायो!
विभीषण संग कियो विचारा, प्र्रभु कथा कहि नाम प्रचारा!!
जातुधान और अक्षय मारा, रावण धमका लंका जारा!
सीता मॅा को आश बॅधायो, लौटि कथा पुनि राम सुनायो!!3
बम बम बलवाना बम बम, बम बम बलवाना बम बम!
सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 26, 2013 at 6:06am

आदरणीय श्री राजेश कुमार झा,श्री योगी सारस्वत एव श्री बृजेश कुमार सिंह जी, आप सभी का बहुत बहुत हार्दिक आभार एवं धन्यवाद।

Comment by राजेश 'मृदु' on March 21, 2013 at 4:56pm

दंडक वन में सांवरे, मायाधर जगनाथ

विकल सिया को ढूंढते, अनुज लखन के साथ     सियावर रामचंद्र शंकर शरणम्

हार्दिक बधाई सुंदर चौपाई पर, सादर

Comment by Yogi Saraswat on March 21, 2013 at 10:52am

काल कूट हर अमृत धारो, भूत प्रेत पटक कर मारो!
तुम हो अटल ज्ञान के राशी, दुष्ट दानव सबके गल फाॅसी!!
तुम हो सब संकट से पारा, सब गुन आगर करो विचारा!
लॅाघि करो तुम सागर पारा, जयति राम श्री राम पुकारा!!2 बम बम..

sundar , jay bajrang bali

Comment by बृजेश नीरज on March 20, 2013 at 8:12pm

अप्रतिम! जय बजरंग बली! आभार!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 19, 2013 at 7:17pm

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी, आपको चैपाइयां अच्छी लगी,  ‘जय बजरंग बली जी की‘। धन्यवाद एवं बहुत-बहुत आभार!

 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 19, 2013 at 7:14pm

आदरणीय राम शरण पाठक जी, आपको चैपाइयां अच्छी लगी, मेरी मेहनत सफल हुई। धन्यवाद एवं बहुत-बहुत आभार!

Comment by ram shiromani pathak on March 19, 2013 at 1:53pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी सुन्दर चौपाइयां प्रस्तुत की है बधाई स्वीकारें.

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 19, 2013 at 12:43pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी सुन्दर चौपाइयां प्रस्तुत की है बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service