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कार्तिक मास महत्त्व

देव उठे अरु लग्न हुए, सखि कार्तिक पावन मास यहाँ,

मत्स्य बने अवतार लिये,प्रभु कार्तिक पूनम सांझ जहाँ,

पद्म पुराण बताय लिखें, महिना इसको हि  पवित्र सदा,

मोक्ष मनुष्य प्रदाय करे,सखि कार्तिक स्नान व दान सदा/

 

 श्रीहरि का व्रत ध्यान करें,जप पूजन दीपक मान करें,  

सांझ ढले सम देव धरें, तमसो सरि दीपक दान करें,

देव प्रभाव मनुष्य लखे,जग शौर्य बढे धन धान्य भरे,

पाप कटे अरु पुण्य मिले,सब पीर व होवत कष्ट हरे/

कुछ पंक्तियाँ उज्जैन के कार्तिक स्नान और गर्दभ मेले पर.

इक  अमृत  बूंद  घड़ा छलका,यह पावन नीर भरा सरिता लो,

हर कार्तिक मास कि पूनम को,क्षिपरा सरि तीर नहान भरे लो,

जन स्नान करे अरु ध्यान करे,हिय शांत करे मन भाव धरे जो,

तन धोय  मलीन  प्रकाश भरे, तम में जब दीपक दान करे जो/

क्षिपरा सरि के पछि तीर भरा सखि सुन्दर गर्दभ का पशु मेला,

कुछ लाल  सफ़ेद कतार दिखे, फिर धूसर तो हर  बार दिखेला,

अमिताभ बिके सलमान बिके, अरु लालु  शहारुख साथ बिकेला,

कुछ लाख बिके व हजार बिके,कुछ को  इस बार उधार धकेला/

 

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on November 26, 2012 at 9:05pm

आदरणीय लड़ीवाला जी और आदरेया राजेश कुमारी जी सादर छंद रचनाओं कि सराहना के लिए हार्दिक आभार.


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Comment by rajesh kumari on November 26, 2012 at 1:24pm

छंदों के माध्यम से कार्तिक मेले का कितना सुन्दर चित्र खींचा है अशोक कुमार रक्ताले जी सच में सहनीय पठनीय है बहुत बहुत हार्दिक बधाई इतनी उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 26, 2012 at 10:52am

सुन्दर काव्यत्मक कार्तिक महत्त्व बताया आपने, बधाई । मैंने कल ही पढ़ा की कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को भगवन का मतस्य अवतार हुआ था । अब तक तो यही मालूम था की मेरी और गुरु नानक की हिंदी तिथि से एक ही दिन जयंती है ।पर इस उपरोक्त रहस्य के जानने पर इश्वर के प्रति और नत मस्तक हो गया । भगवन कार्तिकेय के नाम पर इस कार्तिक मॉस का तो प्रति दिन ही सर्वोत्तम है ।

 
2. ये गधर्व मेला हमारे राजस्थान में पुष्कर में भी भरता है, अब तो इनकी और नसले बढ़ गयी है, घोटालो के बाद इनको अब बहुत अधिक खा खा कर अपनी आबादी बढाने का अवसर जो मिल गया है । मुझे अपने कहने का अवसर दिया आपका हार्दिक धन्यवाद 
भाई अशोक रक्ताले साहेब 

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