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चाँद-सितारे ,बादल ,सूरज

आँख मिचौली खेल रहें हैं ।

धरती खुश है ,

झूम रही है ।

झूम रहा है प्रहरी कवि-मन ।

समय आ गया नए सृजन का ।

 

खून सनी सड़कों पर-

काँटे उग आएं हैं ।

जीवन भाग रहा है नंगेपांव –

मगर बचना मुश्किल है ।

सन्नाटों का गठबंधन-

अब चीखों से है ।

 

हृदयों के श्रृंगारिक पल में

छत पर चाँद उतर आता है ।

कवि के कन्धे पर सर रखकर

मुस्काता है ।

नीम द्वार का गा उठता है

गीत प्यार के ।

 

कविताएँ नाखून बढाकर

घूम रहीं हैं ।

नुचे हुए भावों के चेहरे

नया मुखौटा ओढ़ चुके हैं ।

अट्टहास करती है नफरत

प्यार भरी कुछ मुस्कानों पर ।

 

अलग-अलग से दो मंजर हैं ,

किसको देखूं ?

 

जुदा-जुदा सी दो राहें हैं ,

क्या होगा-

मेयार सफर का ?

 

तय करना है !

 

 

 

.............................. अरुन श्री !

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Comment

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Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:43am

डा० प्राची सिंह मैम , ऐसे ही दृष्टि बनाए रखिए ! सादर धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:41am

विनीता शुक्ल मै , सराहना और बधाई सन्देश हेतु धन्यवाद आपका !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:41am

नादिर साहेब , सराहना के लिए धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:40am

राजेश कुमारी मैम , बहुत बहुत धन्यवाद जो अपने इस रचना को समय दिया ! उम्मीद है अब नियमित रह सकूंगा ! :-)) ! अच्छा लगा कि मैं याद हूँ आपको !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:38am

आदरणीय सौरभ सर ,
//किसे समझें और किसे समझते हुए छोड़ दें का व्यावहारिक द्वंद्व. संवेदना को मिला यही श्राप किसी कवि के हो जाने की शर्त है//
आपकी सिर्फ एक पंक्ति इस पूरी कविता से अधिक सारगर्भित है ! आपने सदा ही मेरा मान बढ़ाया है ! आशीर्वाद दिया है ! मार्गदर्शन किया है ! इस सब बातों के लिए मैं धन्यवाद नही कहूँगा ! बस आशीष बना रहे अनुज पर ! :-))
संभवतः सब सामान्य रहा तो अब नियमित रहूँगा !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:34am

राजेश कुमार सर , आपकी सराहना ने सचमुच सुखद एहसास कराया ! आपने ठीक ही कहा ये न तो गीत है न ही नवगीत ! तो अतुकांत आधुनिक कविता कह लें ! :-)) शिल्प चाहे जो हो भाव ह्रदय तक पहुँचने चाहिए ! आपके सुझाव के लिए आपका आभारी हूँ ! बस ऐसे ही दृष्टि बनाए रखिए ! सादर धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:30am

अखिलेश मिश्र सर , बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:30am

रविकर सर , आपकी छंदबद्ध सराहना के लिए धन्यवाद !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 8, 2012 at 7:51am

दो बिलकुल अलग भाव चित्रों को बहद संवेदनात्मक शब्दों के साथ अभिव्यक्त किया है आ. अरुण जी.....बहुत रोचक और सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई 

Comment by Vinita Shukla on November 8, 2012 at 5:02am

अद्भुत एवं प्रभावी अभिव्यक्ति. बधाई स्वीकार करें.

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