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सिपाही जंग के मैदान का...

सिपाही, दूर घर से खड़ा सीमा पर..

अपनी मातृभूमि की रक्षा को...

जो समर्पित है चिर काल से..

अपने देश के लिए अर्पण को..

सिपाही, जिसका घर सीमा पर बनी चौकियां हैं..

सिपाही, जिसका परिवार उसके साथ खड़े भाई हैं..

सिपाही, जो सर्द रातों में भी थकता नहीं है...

सिपाही, जो जेठ की दुपहरी में भी रुकता नहीं है...

वो सिपाही, जिसके लिए तिरंगा उसकी शान है...

सिपाही, जिसके लिए राष्ट्र, उसकी जान है...

सिपाही, जो छोड़ता नहीं मैदान..

शहादत को गले लगाने तक..

सिपाही, जिनके दम पर है बुलंद हिंदुस्तान.

क़यामत होने तक....

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Comment by Rekha Joshi on September 23, 2012 at 7:22pm

सिपाही, जो छोड़ता नहीं मैदान..

शहादत को गले लगाने तक..

सिपाही, जिनके दम पर है बुलंद हिंदुस्तान.

क़यामत होने तक.,अति सुंदर भाव हरविंदर जी ,हार्दिक बधाई 

Comment by राज़ नवादवी on September 23, 2012 at 11:26am

सिपाही, जिसका घर सीमा पर बनी चौकियां हैं..

सिपाही, जिसका परिवार उसके साथ खड़े भाई हैं..

सिपाही, जो सर्द रातों में भी थकता नहीं है...

सिपाही, जो जेठ की दुपहरी में भी रुकता नहीं है...

- प्रिय हरविंदर जी, आँखें नम हो जाती हैं ये पढ़कर, कितना कुछ रखा है इक सिपाही के काँधे, दिल, बाजू, और सर पर. बड़ी ही भावपूर्ण कविता. बधाई हो!

Comment by Harvinder Singh Labana on September 22, 2012 at 5:11pm

Adarniya Laxman Prasad Ladiwala ji Aapka Behad Shukriya..

Er. Ganesh Jee "Bagi" Sir mein Vishwash dilata hun ki Is group mein Apni Sakriya Bhagidaari nibhaunga.... Aapki Badhai ke liye Aapka Tah-e-Dil Se Shukriya....

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 22, 2012 at 12:01pm

सिपाही को सादर नमन और सिपाही की वीरता के गुणगान करने वाले श्री हरविंदर सिंह लबाना को हार्दिक बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 22, 2012 at 10:10am

सिपाही ही तो है जिसके बदौलत हम अपने घरों में चैन की नींद सोते है, सलाम है उन वीर बाकुरों को, बहुत ही अच्छी रचना, बहुत बहुत बधाई हरविंदर सिंह जी, उम्मीद है कि आगे भी आपकी रचनाओं एवं अन्य सदस्यों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचारों से हम सभी लाभान्वित होते रहेंगे |

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