For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ के दामन को ही आसमाँ कह दिया

हमको देखे बिना उसने हाँ कह दिया
मेरे खाना-ए-दिल को मकाँ कह दिया

चाँद तारे मयस्सर मुझे हो गए
माँ के दामन को ही आसमाँ कह दिया

आग तडपी तपिश तिल-मिलाने लगी
सर्द से कोहरे को धुआँ कह दिया

छोड़ के मुझको जाँ मेरी जाँ ले गयी
बेबफा जब मिली जाने-जाँ कह दिया

हम गरीबों की किस्मत में कैसा महल
झोपडी को ही सारा जहाँ कह दिया

संदीप पटेल "दीप"

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 1, 2012 at 9:09am

आदरणीय भाई विन्ध्येश्वरी जी सादर नमन
आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपकी दाद मिली
आपका तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार
स्नेह और सहयोग यूँ ही बनाये रखिये

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2012 at 8:16pm
आदरणीय संदीप भाई जी उम्दा गजल के हार्दक बधाई।और इस मिशरे के लिए खास तौर पर-
हम गरीबों की किस्मत में कहां है महल।
झोपड़ी को ही सारा जहां कह दिया॥
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 31, 2012 at 9:40am

आदरणीय सचिन जी सादर नमस्कार
आपकी सराहना पा कर एक उत्साह आ गया है
अपना ये स्नेह और सहयोग यूँ ही बनाये रखिये
आपका तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार

Comment by SACHIN on August 31, 2012 at 9:34am

आदरणीय संदीप जी ,

सादर नमस्कार ,

"चाँद तारे मयस्सर मुझे हो गए 
माँ के दामन को ही आसमाँ कह दिया "
 
आनंद की अनुभूति हुई इन पंक्तियों को पढ़कर! हार्दिक बधाई एवं धन्यवाद !
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 31, 2012 at 9:20am

आदरणीय सतीश मातपुरी जी सादर प्रणाम
आपकी सराहना पा कर लेखन को बल मिला है
अपने ये स्नेह और सहयोग यूँ ही बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 31, 2012 at 9:18am

आदरणीय वीनस जी सादर नमन
आपकी बधाई पा कर मन प्रसन्न हो उठता है
या यूँ कहूँ की लेखन में इक नयी जान आ जाती है
अपना ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
तहे दिल से शुक्रिया आपका इस जर्रानवाजी के लिए

Comment by satish mapatpuri on August 31, 2012 at 2:32am

खुबसूरत ख्याल .... सुन्दर पेशकश ... बधाई संदीप जी

Comment by वीनस केसरी on August 31, 2012 at 12:40am

बढ़िया शेर कहे हैं

बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
16 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service