For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता

 

 काश कोई होता जिसपे मेरा अधिकार होता!

काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!

 

जिसके बिन मेरा जीवन पतझड़ सा ही सूना है!

पास है मेरे सबकुछ पर वो नहीं तो फिर क्या है!

पतझड़ से सूने जीवन में बनकर बहार होता!

काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!

 

प्रेम कहानी, गीत-गज़ल मन को रास नहीं आते!

प्रेम-प्रणय, श्रींगार-भाव मन को अतिशय तड़पाते!

बस मेरी खातिर ही जिसका सारा श्रींगार होता!

काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!

 

प्रिया व् प्रेमी की बातें दिल पर तीर चलाती हैं!

उसपर सुकोमल प्रीत वो पीड़ा और बढाती है!

जिसके होठों पर हरइक पल मेरा पुकार होता!

काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!

 

जब खुद पर से भी मेरा विश्वाश कभी खो जाए!

जब मेरी सब हिम्मत गहरी नींद में सो जाए!

जब जीवन की राह में निराश कभी मै रुक जाऊं!

जब संघर्षों के आगे कायर सा मै झुक जाऊं!

ऐसे क्षण में भी जिसको मुझपर ऐतवार होता!

काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!

   

                                                                                           - पियूष द्विवेदी भारत’                   

Views: 531

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on August 31, 2012 at 1:00pm

SANDEEP KUMAR PATEL

बारम्बार धन्यवाद.........

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 31, 2012 at 9:30am

ऐसे क्षण में भी जिसको मुझपर ऐतवार होता!

काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!

बहुत सुन्दर रचना बधाई हो
कुछ कमियाँ है जो भाई विन्धेय्श्वरी जी ने पूर्व में अवगत करा दिया है

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on August 30, 2012 at 7:13am

Naval Kishor Soni

धन्यवाद........!

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on August 30, 2012 at 7:12am

विन्ध्येश्वरी प्रसाद जी

बधाई हेतु धन्यवाद! हम जब भी कोई रचना करते हैं, तो अपनी तरफ से इस बात का व्यापक प्रयास करते हैं कि काव्य क कला पक्ष भी उतना ही उत्तम हो जितना कि भाव पक्ष, परन्तु मात्रात्मक विवशताओं के कारण सब स्वेच्छानुसार से नही हो पाता! जिस वर्तमान और भूत के संयोजन की बात आपने लिखी है, मेरे अनुसार वहां त्रुटी नही है, क्योंकि इस तरह की शब्दावली काव्य की, विशेषतः मात्रात्मक काव्य की विवशता है! टंकण सम्बन्धी त्रुटियों के विषय में मुझे कोई अनुमान नही है, संभव हो तो विदित कराएं! पुनः धन्यवाद!

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 29, 2012 at 6:55pm
आदरणीय पियूष जी उत्तम गीत रचना के लिए बधाई।लेकिन प्रथम पद में वर्तमान के साथ भूत का संयोजन सालता है।टंकण सम्बंधी कुछ त्रुटियां भी हैं।
फिरहाल रचना भाव के स्तर पर मुग्ध करती है एकबार पुन: बधाई।
Comment by Naval Kishor Soni on August 29, 2012 at 1:31pm

जब संघर्षों के आगे कायर सा मै झुक जाऊं!

ऐसे क्षण में भी जिसको मुझपर ऐतवार होता!-----wah bhut khub.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
8 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service