For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौका था गुरु भाई प्रकाश सिंह 'अर्श' की शादी का, और शहर था पटना

तो ऐसा कैसे होता कि गणेश जी से मुलाक़ात न हो ...

१८ अप्रैल को शादी और १९ अप्रैल को  गणेश जी से मुलाक़ात ...

कुछ स्मृति कलश आप के लिए ...

गुरु भाई प्रकाश सिंह अर्श, गुरु भाई रविकांत पाण्डेय और मैं

गुरु बहन कंचन सिंह चौहान जी के साथ

गणेश जी के साथ उनके आफिस में रविकांत पाण्डेय जी और मैं

Views: 681

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 28, 2012 at 9:45pm

प्रिय केशरी जी ..शुभ कामनाएं मंगल क्षण ...ऐसे ही समा बंधा रहे ...आप ने मुझे भी शामिल किया दूर से ही सही गुलाब जामुन का रसास्वदन मन ही मन हो गया ...जय श्री राधे 

भ्रमर ५ 
Comment by AVINASH S BAGDE on April 23, 2012 at 11:33am

nice one..कुछ स्मृति कलश.

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 22, 2012 at 9:25pm

अप्रतिम क्षण


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 22, 2012 at 1:02pm

गुलाबजामुन अच्छे है|

Comment by Rohit Sharma on April 21, 2012 at 11:58am

आज बागी जी के दफ्तर और उनके दूसरी अन्य तस्वीर के भी दर्शन हुए वरना अब तक तो सिर्फ एक ही तस्वीर देखते आये थे. धन्यवाद

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 21, 2012 at 11:37am

mithe chAN share kiye. aanadit hua. badhai. aadarniy vinus ji.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 21, 2012 at 11:23am

पटना की आपकी यात्रा का सोत्साह सम्पन्न होना कई अर्थों में तोषमय दीख रहा है, वीनसजी.

प्रकाशजी का शुभ-विवाह समस्त बधाइयों का कलेवर ओढ़े आपकी स्मृतियों के सुनहरे पन्ने और बढ़ा गया होगा, तो वहीं अनुज गणेशजी के साथ हुई भेंट मधु-समृद्ध भावनाओं का आदान-प्रदान रहा होगा.  उसपर से देख रहा हूँ कि भाई रविकांतजी की साक्षी-उपस्थिति में आप गणेश भाई द्वारा ओबीओ के मानद-पत्र से भी लाभान्वित हुए हैं !  यानि, खिलखिला कर हँसने को मुँह क्या खुला मुँह में टप् से रसगुल्ला आ पड़ा !  अय-हय !! 

ईश्वर ऐसी यात्राएँ सर्वसुलभ करावे. बधाई.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 21, 2012 at 10:12am

मुबारकां वीनस जी...!! :-)))


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 21, 2012 at 10:10am

प्रिय वीनस, समय का पता ही नहीं चला और भाई रविकांत जी की गाड़ी का समय हो गया , ऐसा लगा जैसे कोई रसगुल्ला जिव्हा से सटा कर हटा दे | आप दोनों के साथ व्यतीत समय यादगार रहा |  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service