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मैथिल कोकिल विद्यापति केर जन्म लगभग १३८० ईस्वी में भेल रहैन्ह. १३८४ सं १३८६ ईस्वी के बीच अल्पायु में ही ओ पद लिखि गयासुद्दीन आजम शाह आ नसरत शाह के समर्पित कयला. १४०० ईस्वी के लगभग में ओ नैमिषारण्य निवासी देव सिंहक आदेश सं संस्कृत भाषा में "भू-परिक्रमा" नामक ग्रन्थ केर रचना कयलाह. १४०२-१४०८ ईस्वी के बीच इब्राहिम शाह द्वारा मिथिला केर सिंहासन महाराजा कीर्ति सिंह के देल गेल ओहि अवसर पर अवहट्ट भाषा में "कीर्ति पताका" केर रचना कयला. १४१० ईस्वी के लगभग देव सिंह जी के जीवित अवस्था में संस्कृत ग्रन्थ "पुरुष परीक्षा" केर रचना कयलाह. १४१० सं १४१४ ईस्वी के बीच महाराजा शिव सिंहक राज्यकाल में मैथिली भाषा में कम-सं-कम दू सौ पद्य केर रचना कयला, १४१८ ईस्वी में द्रोणवार वंशक अधिपति पुरादित्य आश्रय मैं रायबनैली में संस्कृत भाषा में "लिखनावली" क रचना कयला. १४३० सं १४४० ईस्वी के बीच राजा पद्म सिंह आ विश्वास देवीक नाम सं मैथिली पद्यक रचना, संस्कृत में "शेव सर्वस्वसागर" आ मैथिली में "गंगा वाक्यावली" नामक ग्रन्थ के रचना कयला. १४४०-१४६० के बीच संस्कृत ग्रन्थ "विभागसार" , "दान वाक्यावली" आ "दुर्गा भक्ति तरंगिनी" केर रचना कयला.१४६० ईस्वी में संस्कृत अध्यापक के रूप में "ब्राह्मण सर्वस्व" केर रचना कयला. एहि प्रकारें विद्यापति समय-समय पर मैथिली भाषा में हजारों पद ( भक्ति, सिंगार, वैराग्य आदि) केर रचना कयलनि ,
हुनक साहित्यिक कृत्यक सारांश एहि प्रकारें अछि---
(1) संस्कृत --- विभागसार, दानवाक्यावली, भूपरिक्रमा, दुर्गा भक्ति तरंगिनी, शैव सर्वस्वसार, लिखनावली, पुरुष परीक्षा, गयापत्तलक, वर्षकृत्य, गोरक्षविजय, मणिमंजरी आदि,)
(२) अवहट्ट--- कीर्तिलता आ कीर्तिपताका.
(३) मैथिली- सहस्त्र पद्सम ( विद्यापति पदावली के नाम सं प्रचलित) जे समस्त उत्तर पूर्व भारत में लोक कंठ सं गूजि रहल अछि.

------मनोज कुमार झा "प्रलयंकर"

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ऐसे विद्वान को सत सत नमन है, ऐसे कोहिनूर कई सदियों मे एक निकलते है,

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