For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रूपसी के कोठे पर रसिया लोगों की भीड़ है।सभी अपनी हाल की देहरादून यात्रा का बड़े हौसलापूर्वक वर्णन कर रहे हैं। लखू सेठ, "बड़ी सुखद यात्रा रही,रूपसी बाई।"
गगन बिहारी पांडे बोले,"लगा जैसे स्वर्ग सीधे धरती पर उतर आया हो।"
छोटू दादा: अपुन तो दंग रह गए वहां की अतिथि शाला देखकर।बड़ी भली व्यवस्था थी, देवि।"
अपने प्रति इतना आदरपूर्वक संबोधन सुनकर रूपसी चौंक -सी गई।
"कौन अतिथि शाला,दादा?" रूपसी ने सवाल किया।
"मंजरी सदन।"
"अच्छा।पहुंच ग....ए.....।"रूपसी कहते -कहते रूक गई।हठात उसने दाहिने हाथ से अपना मुंह ढांप लिया।
"क्या हुआ, रूपो?"गगन बिहारी की आवाज गुड़ागुड़ाई।
"कुछ नही।बस ऐसे ही वहां की याद आ गई।"
"आनी ही चाहिए जी।" छोटू दादा बोले।
"हां हां,क्यों नहीं? यादों की बात ही अलग है।" गगन जैसे गुनगुनाए।
"हां हां......एकदम सच है।" सब एक साथ बोल पड़े।
"मैं समझी नहीं।आप सब कहना क्या चाहते हैं?"रूपसी पूछ बैठी।
"यही कि वहां आपकी बड़ी तस्वीर लगी है।नीचे लिखा है ---मंजरी डोगरा,संचालिका।"
"अच्छा तो यह बात है। इसीलिए नाचीज़ को इतनी इज्जत बख्शी जा रही थी।" रूपसी इतना ही बोल पाई।
"हां देवि। यहां यह रूप,वहां वह रूप!हम समझ नहीं पाए। इसीलिए चकित हैं।"सारे रसिया एक साथ बोल पड़े।
रूपसी बोली, "हां, मैं हूं मंजरी डोगरा।सेविका थी वहां।अतिथिशाला पर कर्ज था। न चुक सका।सेठ ने उसे नीलाम कराना चाहा।मैने खुद को उसके हवाले कर दिया।नीलाम हुई।मंजरी मसल दी गई।अतिथिशाला बच गई।"
"फिर?"
"कुछ दिनों के बाद मैं यहां मुंबई आ गई। उस अतिथिशाला के संचालन के लिए हर माह पैसे भेजने होते हैं।भेजती हूं।"
"हम चकित हैं, आपके दोनों रूप देखकर।"
" पूजी मैं ही जाती हूं; यहां इस रूप में,वहां उस रूप में।"
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 301

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on October 2, 2022 at 12:05pm

आदरणीय महेंद्र जी, लघुकथा को आपने इज्जत बख्शी। आपका शुक्रिया। 

Comment by Mahendra Kumar on October 2, 2022 at 10:31am

व्यक्ति के कई रूप होते हैं। इस बात को रेखांकित करती हुई अच्छी लघुकथा लिखी है आपने आ. मनन जी। हार्दिक स्वीकार कीजिए।

Comment by Manan Kumar singh on September 30, 2022 at 10:20pm

आभार आदरणीय उस्मानी जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 30, 2022 at 9:42pm

आदाब। वाह। परतें-दर-परतें खोलती... पोल खोलती... विवशतायें... व्यवस्थायें...बतलाती बेहतरीन शैली की लघुकथा। हार्दिक बधाई मुहतरम जनाब मनन कुमार सिंह साहिब।

Comment by Samar kabeer on September 17, 2022 at 4:03pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service