For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

झाड़ू -पोंछा कर रही

अन्तर में अनुराग

स्वस्थ रहें सब, उल्लसित

हृदय भैरवी राग

दाल, सब्जियाँ पक रहीं

उफन रही है प्रीत

क्यों ना खा सब तृप्त हों?

जब पवित्र मन मीत

चकले पर  रोटी बिली

तवे पकाया प्यार

उमग खिलाती प्रेम से 

गृहणी नेह सम्हार

बरतन हैं जब मँज रहे

सृजन हो रहा गीत

ताल बद्ध , लय बद्ध हो

बजता नव संगीत

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha Awasthi on August 25, 2021 at 3:54pm

आदरणीय सौरभ पान्डेय जी, हार्दिक धन्यवाद आपका।आपको रचना सार्थक  लगी , जानकर खुशी हुई ।आपके सुझाव का ध्यान रक्खूँगी।

सादर प्रणाम


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2021 at 3:07pm

वाह ! .. बहुत् ही सार्थक दोहे हुए हैं. भावपक्ष अत्यंत उदार है. 

शैल्पिक रूप से उमग प्रेम से खिलाती   को व्यवस्थित कर लें, तो आपकी प्रस्तुति दोहा छंद को प्रासंगिक आयाम देती हुई है, आदरणीया ऊषा अवस्थी जी. 

हार्दिक बधाइयाँ 

शुभ-शुभ

Comment by Usha Awasthi on August 25, 2021 at 10:57am

आ0 लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी ,सादर प्रणाम।

आपके कथन को मैं समझ गई। आपका और समर कबीर जी का बहुत शुक्रिया।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 25, 2021 at 5:08am

आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। दोहों का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई। आ. भाई समर जी द्वारा बताये चरण को यूँ करके सुधारा जा सकता है - उमग खिलाती प्रेम से।

Comment by Usha Awasthi on August 24, 2021 at 5:04pm

आदरणीय समर कबीर साहेब, आपकी प्रतिक्रिया पाकर खुशी हुई ।

सच कहूँ तो मैंने यह सोच कर लिखा ही नहीं कि मैं किस विधा में लिख रही हूँ। संगीत की थोड़ी - बहुत जानकारी के अनुसार जब मुझे लगता है कि यह लय में आ रही है,मैं उसे लिख लेती हूँ। जब मैं उसे बोलूँगी तो वह उचित मात्राओं में ही रहेगी ।जब कुछ भाव उठते हैं , ऐसा ही करती हूँ।किन्तु आपने इस ओर मेरा ध्यान दिलाया , हार्दिक आभार आपका। कोशिश करूँगी।

Comment by Samar kabeer on August 24, 2021 at 3:24pm

मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब, दोहों का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।

एक निवेदन ये है कि रचना के साथ उसकी विधा भी लिख दिया करें तो नये लिखने वालों को टिप्पणी करने में आसानी होगी ।

'उमग प्रेम से खिलाती

गृहणी नेह सम्हार'

इस पंक्ति के विषम चरण का अंत 212 पर नहीं है,देख लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service