For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाल गजल(मैंने डिग्री हासिल की है..)

22 22 22 22

मैंने डिग्री हासिल की है
सब कहते हैं,नाक बची है।1

फेल अगर तुम हो जाओ, तो
लोग कहेंगे,नाक कटी है।2

गुस्से का इजहार हुआ तो,
यूं लगता है,नाक चढ़ी है।3

हो जाते जब लोग बड़े, सब
कहते,उनकी नाक बड़ी है।4

सर्दी - खांसी,नजला हो,तो
कहते,खुलकर नाक चली है।5

ऑक्सीजन से जीवन देती,
कहते,कितनी नाक भली है!6
'मौलिक व अप्रकाशित'

Views: 362

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on October 20, 2020 at 7:06pm

आपका आभार आशीष जी। 

Comment by आशीष यादव on August 25, 2020 at 11:50pm

वाह, नाक को केंद्र में रखकर बहुत अच्छी गजल कही आपने। 

Comment by Samar kabeer on June 2, 2020 at 2:59pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Manan Kumar singh on May 31, 2020 at 5:16pm

आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 31, 2020 at 4:34pm

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन पर आपकी सूक्ष्म समीक्षात्मक उत्तम प्रतिक्रिया का दिल…"
38 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला नहीं हुआ,  जनाब  ! मिसरे परस्पर बदल कर देखिए,  कदाचित कुछ बात  बने…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आराम  गया  दिल का  रिझाने के लिए आ हमदम चला आ दुख वो मिटाने के लिए आ  है ईश तू…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्श के लिए आभार। तीसरे शेर पर…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"तरही की ग़ज़लें अभ्यास के लिये होती हैं और यह अभ्यास बरसों चलता है तब एक मुकम्मल शायर निकलता है।…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"एक बात होती है शायर से उम्मीद, दूसरी होती है उसकी व्यस्तता और तीसरी होती है प्रस्तुति में हुई कोई…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए आ. दूसरी…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान को इन्सान…"
4 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122 1 मुझसे है अगर प्यार जताने के लिए आ।वादे जो किए तू ने निभाने के लिए…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपने ठीक ध्यान दिलाया. ख़ुद के लिए ही है. यह त्रुटी इसलिए हुई कि मैंने पहले…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी, आपकी प्रस्तुति का आध्यात्मिक पहलू प्रशंसनीय है.  अलबत्ता, ’तू ख़ुद लिए…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलकराज जी की विस्तृत विवेचना के बाद कहने को कुछ नहीं रह जाता. सो, प्रस्तुति के लिए हार्दिक…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service