For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राखी
"अभी आ जाएगी तुम्हारी लालची बहन हमारा बजट ख़राब करने,क्या उसे नही पता? लोकडाउन के कारण हमारी आर्थिक हालत ठीक नहीं है? अब उसका बोझ भी उठाना पड़ेगा और राखी का उपहार भी देना पड़ेगा ,"भाभी मेरे भाई से कह रही थी।
"अरे मीनू ऐसे क्यों बोल रही हो? दीदी बहुत समझदार हैं ।इस बार उन्हें हम कोई घर में रखा कोई सूट या साड़ी दे देंगे।"
"मेरी बात ध्यान से सुन लो ! मैं अपना कोई सूट उन्हें नहीं देने वाली,वो मुझे अपने मायके से मिले हैं।" मेरा भाई लाचार सा खड़ा ये सब सुन रहा था। मैं दरवाजे पर खड़ी हूँ इस बात से दोनों अनजान थे ।
" बुआ जी आ गईं !" मेरा भतीजा ख़ुशी से मेरे पास दौड़ते हुए आया और बोला।
"दीदी नमस्ते !आप कब आईं?" भाभी थोड़ा झेंपते हुए बोलीं।
"तभी जब आप भैया से मेरे बारे में बात कर रहीं थीं।"अब तो उनकी शक्ल देखने वाली थी।
"आपके लिए चाय लेकर आती हूँ"ये कहकर वो जाने लगीं पर मैंने उन्हें अपने पास सोफ़े पर बिठा लिया।मैने कहा " देखो भाभी !मैं किसी लालच में यहाँ नहीं आती ;मैं तो अपने मम्मी-पापा व आप सबसे मिलने आती हूँ और मैं आती हूँ अपने बचपन की यादों को ताज़ा करने ,अपनी सहेलियों से मिलने जिनके साथ मैने बचपन में गुड़िया गुड्डो की शादियाँ रचाया करती थी । बहुत पुराना रिश्ता है मेरा इन गलियों से ; यहाँ आकर अपने बचपन को दोबारा से जी लेती हूँ ,एक दो दिन ही सही अपनी सभी परेशानियों को भूल जाती हूँ। यहाँ आकर मुझमे एक नई ऊर्जा आ जाती है।हम भाई बहन की वो खट्टी मीठी लड़ाई याद आती है जो ज़्यादातर बिना बात के ही हो जाया करती थी।"
"चलो भाभी ! हम आज से एक नई परम्परा की शुरुआत करें।आज से हम किसी भी तरह की औपचारिकता में नहीं पड़ेगें ।राखी पर मैं भईया को सिर्फ़ मौली बांँधूगी और कोई मिठाई भी नहीं लाऊंँगी , मुँह मीठा तो गुड़ से भी हो सकता है।राखी और भाई दूज पर आपसे कोई उपहार नहीं लूंगी।"
ये सब सुनकर भाभी ने मुझे गले लगाया और रोने लगीं , उनके साथ साथ मेरी आँखों से भी अश्रुधारा बह निकली।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 5, 2020 at 2:36pm
बृजेश कुमार 'ब्रज' जी लघुकथा तक आने के लिए बहुत बहुत आभार! आपके सुझाव पर ज़रूर ध्यान दूंँगी। सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 4, 2020 at 9:57pm

लघुकथा का विषय अच्छा है इसीलिये मुझे लगता है भावों की कसौटी पे और कसा जा सकता है।

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 3, 2020 at 4:49pm
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सादर अभिवादन। प्रोत्साहित करने के लिए आपका हार्दिक आभार महोदय।
Comment by Madhu Passi 'महक' on August 3, 2020 at 4:45pm
आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' जी सादर नमस्कार ।आपकी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तह -ए -दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 3, 2020 at 2:14pm

आद0 Madhu Passi जी सादर अभिवादन

अच्छी भावपूर्ण और सन्देश देती लघुकथा पर आपको बधाई देता हूँ

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on August 2, 2020 at 10:24pm

आदरणीया Madhu Passi 'महक' साहिबा, आपकी लघुकथा बहुत मौज़ूँ और मानीखेज़ लगी, इस पर आपको दिली दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, सबसे पहले ग़ज़ल पोस्ट करने व सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल 2122 1212 22..इश्क क्या चीज है दुआ क्या हैंहम नहीं जानते अदा क्या है..पूछ मत हाल क्यों छिपाता…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन  के लिए आभार।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service