For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुन! जो उनसे हो मुलाकात जाये तो क्या होगा

बह्र-
2122-2122-1221-222

सुन! जो उनसे हो मुलाकात जाये तो क्या होगा ।।
दरमियाँ फिर हो वही बात जाये तो क्या होगा।।

पर कहीं वो रूठ कर नजरें अपनी घुमा ली तो ।
बेबजह यूँ इश्क जजबात जाये तो क्या होगा।।

छोड़ उसको फिर न ये दर्द उलफत का देना अब।
रो के गर उसकी भी ये रात जाये तो क्या होगा।।

जानते हो ,वो यूँ मीलों सफर के जैसा है।
दो कदम चल के मुलाकात जाये तो क्या होगा ।।

मुझसे वो अच्छे से मिलना नहीं चाहती होगी।
बेवफा हूँ, मिल भी खैरात जाये तो क्या होगा ।।

आमोद बिन्दौरी / मौलिक- अप्रकाशित

Views: 422

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on February 10, 2019 at 11:14am

आ रक्षिता दी ...उत्साहवर्धन के लिए आभार ...दी जो आप ने इंगित किया वो सही है । पर मैंने इस रचना में अपनी बात बोलचाल में कहने का प्रयास किया है । बह्र में ये कह पाना नए होने की दृस्टि से मेरे लिए बहुत कठिन था ।  इसमें मैं किसी अपने से अपने जज्बात कह रहा हूँ जिसमे आदर शामिल नहीं है । 

Comment by amod shrivastav (bindouri) on February 10, 2019 at 11:10am

आ समर दादा प्रणाम ...

दादा मार्गदर्शन के लिए आभार, शिल्प का आसाय मैं समझ नही पा रहा हूँ ।  क्या आप का कहन को लेकर प्रश्न है । रही व्याकरण की बात तो वो तो बिलकुल नहीं आती है। मैं ध्यान दे रहा हूँ जैसे ही मुझे समझ आएगा मैं त्रुटियां सही करने का प्रयास करूँगा। 

Comment by Samar kabeer on February 8, 2019 at 3:34pm

जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास बह्र के हिसाब से अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

शिल्प और व्याकरण पर और अभ्यास करें ।

Comment by रक्षिता सिंह on February 8, 2019 at 10:45am

आदरणीय अमोद जी ,नमस्कार !

बहुत सुंदर भाव, बधाई हो।

"जाये तो क्या होगा"  के स्थान पर यदि रदीफ़  "हो जाये तो क्या होगाा"  ज्यादा उचित रहेेेेगा ।

कुछ अन्य बदलाव भी जो मुझे आवश्यक लगे, कृपया गौर फरमाइये ।

        सुन! उनसे जो मुलाकात हो जाये तो क्या होगा ।।
        दरमियाँ फिर से वही बात हो जाये तो क्या होगा।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service