For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हैंगर में टंगे सपने ....

हैंगर में टंगे सपने ....

तीर की तरह चुभ जाता है
ये
मध्यम वर्ग का शब्द
और
किसी की हैसियत को
चीर- चीर जाता है

किसी जमाने में
मध्यम वर्ग के लिए
पहली तारीख
किसी पर्व से कम न थी
पहली तारीख तो आज भी है

मगर
उसके साथ खुशियां कम
और चिन्ताएँ अधिक हैं

पहली तारीख
दिल चाहता है
आज का सूरज सो जाए
रात कुछ लम्बी हो जाए
पानी,बिजली, टेलीफोन,मोबाईल के
भुगतानों की तिथियाँ
सर में हथौड़े की तरह
चोट करती हैं
धोबी,मेहतरानी,और काम वाली बाई
अपने मासिक वेतन की मांग करती हैं
ऊपर से
कार की किश्त,मकान का किराया , बच्चों की फीस
महीने भर का राशन ,
पेट्रोल,रिश्तेदारी,सामजिक दायित्व
पूरे परिवार की फरमाइशें
उस पर कोड़ में खाज़
आयकर की कटौती
वेतन तो
ऊँट के मुंह में जीरे के समान
हाथ में आता है
गिन भी नहीं पाते
कि झट से निकल जाता है
इसीलिये
हर बार
कैलेंडर की एक तारीख
किसी दैत्य से कम नहीं लगती
ज़िम्मेदारियों के पाँव
हर बार
चादर से

बाहर निकल जाते हैं

आँखों की बंद अलमारी में
जाने कितने सपने
हैंगर में टंगे रहते हैं
कभी इन सपनों का हैंगर
खाली होता ही नहीं
लोन की कैंची
इन्हें लहूलुहान करती रहती है
मगर

कम्बख़्त ये सपने
कभी मरते ही नहीं 

सपने
मध्यम वर्ग की
आत्मा हैं , उसकी साँसें हैं
वो
सपनों में जीता है
सपनों के लिए मरता है
उधार के घोड़ों पर
सपनों से लड़ता है
इस भाग दौड़ में
सपनों को पूरा करते -करते
वो स्वयं
सपना हो जाता है
मगर
ये
हैंगर में टंगे सपने
कभी
कम
नहीं होते

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 781

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 2, 2018 at 2:58pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सर सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार। सर इनके पास सब कुछ होता है फिर भी सपने अधूरे होते हैं। सर माध्यम टंकण त्रुटि है मैं एडिट कर देता हूँ। आपका इस हेतु दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on October 2, 2018 at 2:52pm

आदरणीय Dr Ashutosh Mishra'जी सृजन को मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on October 2, 2018 at 2:52pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज'जी सृजन को मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on October 1, 2018 at 10:47pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,कविता बहुत उम्दा है, लेकिन बात को मुख़्तसर भी किया जा सकता था,एक बात ये कि मध्यम वर्ग के पास इतना सब कुछ होता है जो अपने उनकी मजबूरियों में दर्शाया है,मेरे ख़याल में,इन लोगों के पास काम वाली बाई,कार वग़ैरह नहीं होती?

'माध्यम' या "मध्यम"?

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 1, 2018 at 8:46pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील जी।।बढ़िया चित्रण किया है 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 29, 2018 at 7:22pm

बहुत ही प्रभावपूर्ण ढंग से माध्यम वर्ग के दर्द को शब्दों में ढाला है आदरणीय...बधाई

Comment by Sushil Sarna on September 27, 2018 at 6:44pm

आदरणीय वीरेन्द्र वीर मेहता जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 27, 2018 at 6:43pm

आदरणीय नरेंद्र चौहान जी सृजन को मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on September 27, 2018 at 6:42pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब , आदाब ... सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 27, 2018 at 4:25pm

हैंगर में टंगे सपने..... लाजवाब सुंदर रचना, आदरणीय सुशील सरना जी. बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
26 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
29 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
36 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
37 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
38 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
39 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
41 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
43 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
52 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service