For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

122 122 122 122

न तकरार समझी न समझा गिला है
बुरी आदतों का यही फाइदा है

गलत ही तलाशा था मय में नशे को
निगाहों में जबके नशा ही नशा है

न अल्फाज कुछ भी बयां कर सकें हों
जो दिल में बसा आँखों से दिख रहा है

ये चेहरे पे रौनक न जाने है कैसे
जिगर जबकि छलनी हमारा हुआ है

किसी तिफ्ल के रूठ जाने से सीखें
भुलाना किसी को अगर सीखना है

बना लो मुहब्बत को औजार यारो!
शज़र नफरतों के अगर काटना है

क़मर पे चढ़ी जा रही है ख़ुमारी
कहीं दूर सूरज कोई ढल रहा है,

करे जिंदगी झूठे वादे वफ़ा के
क़जा बिन हुआ क्या कोई बावफ़ा है

धँसा पेट जिसका हुआ पसलियों
में
कहीं वो सड़क पर ख़ुशी बेचता है

मौलिक एव अप्रकाशित
तिफ्ल:बच्चा

Views: 778

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Afroz 'sahr' on October 20, 2017 at 1:42pm
आदरणीय सतविंदर जी आपने मेंरे कहे को मान दिया आपका मश्कूर हूँ। सादर,,
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 20, 2017 at 11:38am
आ सलीम रज़ा जी,उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 20, 2017 at 11:36am
आदरणीय अफ़रोज़ सहर जी,आपके मार्गदर्शन अनुसार परिष्कार की कोशिश की है। कृपया पुनः नजरे इनायत हो जाए।
मआर्गदर्शन एवं प्रोतसाहन के लिए तहेदिल शुक्रिया
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 20, 2017 at 11:34am
आदरणीय डॉ छोटे लाल जी,प्रयास को समय देकर उत्साहवर्धन के लिए बहुत हार्दिक आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 20, 2017 at 11:31am
आदर0 नीलेश भाई जी,उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार,नमन सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 20, 2017 at 11:30am
आदरणीय मुहम्मद आरिफ़ जी अनुमोदन,और उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार,सादर नमन
Comment by SALIM RAZA REWA on October 19, 2017 at 9:41am
आ. ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई.
Comment by Afroz 'sahr' on October 18, 2017 at 10:22pm
आदरणीय सतविंदर जी बहुत सुंदर रचना के लिए आपको बधाई।
ग़ज़ल के दूसरे शेर के सानी मिसरे में "जबके" की जगह "उसकी" बेहतर रहेगा,सातवें शेर का ऊला मिसरा , ""बना दो मुहब्बत को औज़ार मेंरी" में "मेंरी" की जगह "मेंरा" सही रहेगा,इसी शेर के सानी मिसरे "मुझे नफ़रतों का शजर काटना है" में "का" के स्थान पर "के" मुनासिब होगा,आपने नुक्तों का इस्तेमाल कहीं नहीं किया है जिस से की शब्दों का सही अर्थ गड़बड़ा रहा है जैसे की आठवें शेर में शब्द क़मर (चाँद) होता है जबकी आपने "कमर"अर्थात ( कटि)हो रहा है जिससे भ्रम पैदा हो रहा है।अर्थात अर्थ का अनर्थ हो रहा है।आपने नियमानुसार अर्कान भीनहीं लिखे हैं। गौ़र कीजिएगा ,सादर,,
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 18, 2017 at 4:36pm
आदरणीय सतविंदर जी बहुत बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने, इस प्रस्तुति पर दिली मुबारकबाद, शेष गुणीजन के हवाले। सादर।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 18, 2017 at 11:32am

आ. सतविन्द्र जी,
अच्छे भावों से सजी    इस ग़ज़ल के लिए बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service