For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत (समीक्षार्थ)

 
मनवा गाये, मनवा गाये,
मोरा मनवा गये रे

इक गौरैया घर में आई
चुन-चुन तिनका नीड़ बनायी
किया है उसने प्रियतम संग फिर
प्रेम सगाई रे
मनवा गाये मनवा गाये ................

इत्-उत् मटक-मटक दिखलाती
पिया को अपने खूब रिझाती
नित अठखेलियाँ करते दोनों
ज्यूँ भँवर बौराई रे
मनवा गाये ..................................

इक दूजे रंग रंगने लगे थे
प्रणय निवेदन करने लगे थे
आने को थी संतति उनकी
हुए सुखारे रे
मनवा गाये .............................

साँझ-सकारे शोर मचाते
घर में इधर उधर मंडराते
उनकी खुशियों में थी मै भी
मन से शामिल रे
मनवा गाये ........................

गौरैया जब-तब ही निकलती
हो गइ थी अब उसकी जचकी

एक संग फिर कई चूजों ने
अलख जाई रे
मनवा गाये ..................


घर मेरा अब चहक उठा था
मन का कोना महक उठा था
देख कर उसे ममता लुटाते
मै मुस्काई रे
मनवा गाये .........................

खा पी कर सब पुष्ट हुए थे
पंख उनके बलिष्ठ हुए थे
भरी उड़ान फिर ऐसी सबने
देखा ना मुड़ के रे
कुछ ना भाये, कुछ ना भाये, अब तो कुछ ना भाये रे........................

थी गौरैया जितनी आकुल
मेरा मन था उतना व्याकुल
उसकी पीर ने मेरी भी थी,
पीर बधाई रे
रोयें दोनों, रोयें दोनों, रोयें दोनों माँएं रे ..................

मीना पाठक
 
   मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2015 at 8:20pm

आपका गीत free verse libre  है . इसमे समीक्षा की गुंजाईश कम  होती है . शिल्प की अपेक्षा भाव की प्रमुखता होती है  और गीत में भाव तो हैं ही . सादर .

Comment by Meena Pathak on July 8, 2015 at 6:03pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया कांता जी | सादर 

Comment by Meena Pathak on July 8, 2015 at 6:03pm

मार्गदर्शन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश जी | सादर 

Comment by Meena Pathak on July 8, 2015 at 5:55pm

आदरणीय धर्मेन्द्र जी बहुत बहुत आभार 

Comment by kanta roy on July 8, 2015 at 4:05pm
वाह !!! बहुत ही खूबसूरत गीत है ..... बधाई स्वीकार करे आदरणीया मीना पाठक जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 8, 2015 at 4:01pm

आदरणीया मीना जी, सुन्दर गीत की प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई 

गीत में तुकांत टेक होता तो गीत का आनंद बहुगुणा हो जाता. 

टंकण त्रुटी और तुकांत की दृष्टि से रचना पर एक बार पुनः ध्यान निवेदित है.

सादर 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 8, 2015 at 11:20am

अच्छा गीत है आदरणीया मीना जी, दाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service