For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे मन कर कल्पना....

हे मन कर कल्पना

बना फिर अल्पना

खोल कर द्वार

सोच के कर पुनः संरचना

हे मन कर कल्पना

 

क्यूँ मौन तू हो गया

किस भय से तू डर गया

खड़ा हो चल कदम बढ़ा

करनी है तुझे कर्म अर्चना   

हे मन कर कल्पना

 

छोड़ उसे जो बीत गया

भूल उसे जो रीत गया

निश्चय कर दम भर ज़रा

सुना समय को अपनी गर्जना

हे मन कर कल्पना

 

पथ है खुला तू देख तो

नैनो को मीच खोल तो 

ऊंचाई पर ही फल मीठा मिले

बिन गाये नहीं होती वन्दना

हे मन कर कल्पना

 

किनारे छोड़ नदी में उतर

तैर कर असत्य पार आ

बिन मरे न कोई स्वर्ग पाये

गढ़नी है तुझे नयी अभिव्यंजना

हे मन कर कल्पना……

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

प्रियंका.....

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priyanka singh on May 28, 2014 at 9:43pm

आदरणीय बृजेश सर ...बहुत बहुत शुक्रिया आपका 

Comment by Priyanka singh on May 28, 2014 at 9:41pm

आदरणीय आशुतोष सर 

आपकी बधाई स्वीकार सर ....रचना पर आपकी नज़र के लिए ...बहुत बहुत आभार...

Comment by Priyanka singh on May 28, 2014 at 9:39pm

आदरणीय विजय सर
आपकी प्रशंसा के लिए दिल से आभारी हूँ ...बहुत बहुत आभार आपका.... 

Comment by Priyanka singh on May 28, 2014 at 9:38pm

आदरणीय सुरेन्द्र सर 

प्रशंसा का बहुत बहुत शुक्रिया......

Comment by Priyanka singh on May 28, 2014 at 9:37pm

आदरणीय गोपाल सर
आपको रचना पसंद आई ...बहुत खुशी हुई ....आशीर्वाद बनाये रखें ....धन्यवाद सर... 

Comment by Priyanka singh on May 28, 2014 at 9:36pm

आदरणीय श्याम जी ...शुक्रिया ....

Comment by Priyanka singh on May 28, 2014 at 9:35pm

आदरणीय शिज्जु सर .....बहुत बहुत धन्यवाद आपका..... 

Comment by Priyanka singh on May 28, 2014 at 9:33pm

आदरणीय मीना जी ....आपकी पसंदगी का शुक्रिया ....

Comment by बृजेश नीरज on May 27, 2014 at 7:35pm

अच्छी रचना है! आपको बहुत बधाई!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 27, 2014 at 2:21pm

आदरनीय ..इस बेहतरीन रचना लिए मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें /सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
8 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service