For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - पहले वो कभी आज तक ऐसे मिला नहीं

२२११    २२१२    २२१२    १२

कैसी ये मुलाकात है कोई गिला नहीं

पहले वो कभी आज तक ऐसे मिला नहीं

 

हाँ बात वो कुछ और थी जब साथ हम भी थे

अब सिर्फ इत्तेफ़ाक है, अब सिलसिला नहीं

 

वो जब से गया मुझको जैसे साथ ले गया

ढूँढा तो बहुत खुद को पर अब तक मिला नहीं

 

कुछ दिन से मेरे शहर का मौसम है अनमना

गुमसुम हैं सभी बागबां, गुल भी खिला नहीं

 

किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर

जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं

 

नेकी जो करो शौक से दरिया में डाल दो

सब कुछ तो यहाँ मिलता पर अच्छा सिला नहीं

 

संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित

Views: 791

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on May 22, 2014 at 10:33pm

किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर

जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं .... बहुत खूब 

हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया. 

Comment by sanju shabdita on May 22, 2014 at 8:46pm

आदरणीय सौरभ सर...लगातार चिल्ला चिल्लाकर बोलने से मुझे लगा कि थोड़े दिन चुप रहना चाहिए ..उसी का नतीजा है कि चुप चुप सी ग़ज़ल प्रस्तुत हुई . चूंकि ग़ज़ल चुप-चुप सी है सो काफ़िया विस्तार की मुझे अधिक छूट नहीं मिल सकी . मैंने कोशिस की थी पर मुझे ग़ज़ल के मूड के हिसाब से भर्ती के शेर लगे ,अतः मैंने यही निर्णय लिया की ग़ज़ल के मूड के हिसाब से ही काफिया लिया जाय ।इसे आप मेरी असमर्थता भी समझ सकते हैं ..आपकी सदाशयता एवं मार्गदर्शन हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद ॥सादर

Comment by sanju shabdita on May 22, 2014 at 8:32pm

आदरणीय Amod Kumar Srivastava जी आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2014 at 4:47pm

कठिन बह्र तो लिया है आपने, निभाया भी है. लेकिन काफ़िया को और फैलाव देना था. शेर भी आपकी ग़ज़ल के लिहाज से कुछ चुप-चुप से लगे.
बहरहाल अभ्यास क्रम में हमसब बहुत कुछ कहते हैं.
इस सतत रचनाधर्मिता के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Amod Kumar Srivastava on May 2, 2014 at 7:26pm

अच्छी रचना बधाई स्वीकार करें .... 

Comment by sanju shabdita on May 2, 2014 at 6:17pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया कुन्ती जी

Comment by sanju shabdita on May 2, 2014 at 6:16pm

धन्यवाद आदरणीय जीतेन्द्र जी

Comment by sanju shabdita on May 2, 2014 at 6:16pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय उमेश जी

Comment by sanju shabdita on May 2, 2014 at 6:15pm

आदरणीय आशुतोष जी आपका हार्दिक आभार

Comment by coontee mukerji on May 2, 2014 at 3:18am

किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर

जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं....बहुत सुंदर.उम्मीदों के सहारे दुनिया टिकी है. हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service