For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मै बांसुरी बन जाऊं प्रियतम

मै बांसुरी बन जाऊं  प्रियतम

और फिर इसे तुम अधर धरो

.............................................

.धुन मधुर बांसुरी की सुन मै

 पाऊं कान्हा को राधिका बन 

..........................................

रोम रोम यह कम्पित हो जाए

तन मन में कुछ ऐसा भर दो

............................................

प्रेम नीर भर आये नयनों में

शांत करे जो ज्वाला अंतर की 

..........................................

फैले कण कण में उजियारा

और हर ले मन का अँधियारा

.........................................

मै बांसुरी बन जाऊं  प्रियतम

और फिर इसे तुम अधर धरो

Views: 728

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on March 7, 2013 at 11:44pm

आदरणीय सौरभ जी ,आपको मेरी रचना पसंद आई,उत्साह्वर्धन हेतु मेरे लिए आपका कमेन्ट ही बहुत अमूल्य था ,नाम से क्या अंतर पड़ता है क्षमा की कोई आवश्यकता ही नही ,आपका हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2013 at 11:56pm

सादर प्रणाम, आदरणीया रेखा जी,

इस भयंकर भूल के लिए हृदय से क्षमा याचना.. . 

सादर

Comment by Rekha Joshi on March 4, 2013 at 10:12pm

वेदिका जी ,ऐसे ही प्रेरणा देते रहिये ,आभार .

Comment by Rekha Joshi on March 4, 2013 at 10:11pm

आदरणीय जवाहर जी ,ऐसे ही उत्साह बढाते रहिये ,आभार .

Comment by Rekha Joshi on March 4, 2013 at 10:09pm

आदरणीय सौरभ जी ,मै रेखा हूँ ,आपको रचना पसंद आई आपका हार्दिक धन्यवाद ,आभार 

Comment by Rekha Joshi on March 4, 2013 at 10:07pm

आ सतवीर जी ,आ राज जी ,आपको रचना पसंद आई आपका हार्दिक आभार ,धन्यवाद .

Comment by वेदिका on March 4, 2013 at 8:33am

बहुत ही प्यारी रचना ,,, भक्तिमय प्रेममय रचना 

शुभकामनायें आदरणीया रेखा जी 

सादर 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 4, 2013 at 7:46am

बहुत ही सुन्दर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2013 at 1:40am

इन सरस द्विपदियों के लिए आदरणीया राजेशजी, हार्दिक धन्यवाद.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 4, 2013 at 1:18am

बहुत ही सुन्दर  रचना हेतु बधाई आपको रेखा जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
15 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
23 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service