For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कबीरा खड़ा बाजार में

 [ एक ]

कठपुतली भी हँस रही, देख मनुज का हाल.
सबसे बड़ा मदारी वो , लिखे जो सबका भाल.
कौन नचाता है किसे, क्या इसका परमान.
सबकी डोर पे पकड़ जिसे, कहते कृपानिधान.
 जिस उर में लालच बसे ,वहाँ कहाँ ईमान .
देय वस्तु पर नेह जिसे , सबसे बड़ा नादान.
जीवन गगरी माटी की , जिसका करम कोंहार .
सरग - नरक येही ठौर है , जिसका जस व्यवहार .
देने वाले ने दिया , एक सूर्य और सोम .
किन्तु मनुज ने बाँट ली , धरती नदियाँ व्योम .
कहत अभागा नियति का , नीयत नियत ही होत .
बिना बीज का फसल उगे , पुनि - पुनि जोते खेत .
मनुज भाग्य में का बदा, विधि भी है अनजान .
 भाग्य बंद मुठ्ठी तले , खुद को लो पहचान .
मिहनत कर जो पेट भरे , वही तो है इंसान.
उठे तो हो भगवान् जो , गिरे तो हो शैतान.
गुड्डा - गुड्डी खेलना , ये है बाल सुभाय.
कितना सुन्दर बालपन, काहे को चली जाय.
सुख और दुःख से क्यों डरें, सिक्के के दो छोर .
जैसा जो करता करम , तैसा  पावत छोर .
सब दिन एक समान ना, समय घुमता चक्र .
जस पूनम का चंद्रमा , दूज को होए बक्र.
लोभी ,कपटी , धूर्त जो , वो है श्वान समान .
दांत गड़ाये हाड़ में , करे जो निज लहू पान .
जो बेटी माता बने , ममता देई लुटाय .
सो बेटी पत्नी बने , कूल का वंश बढ़ाय .
  गर्भ में बेटी बध करे , कैसा धर्म  - रिवाज  ?
जो बेटी  होती नहीं , होत का   पुरुष - समाज ?

               ----  सतीश मापतपुरी

   

Views: 772

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on August 4, 2012 at 1:06am

डॉ. सूरज साहेब , आपकी सराहना पाकर मैं धन्य हो गया . ह्रदय से आभार मित्रवर

Comment by satish mapatpuri on August 4, 2012 at 1:04am

सम्मानित रेखा जी , मेरी रचना आपको पसंद आई ,मेरा श्रम सार्थक  हुआ. धन्यवाद .

Comment by satish mapatpuri on August 4, 2012 at 1:02am

आभार अरुण जी

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 3, 2012 at 11:01pm

सतीश जी सादर नमस्कार ! इंन सुन्दर दोहों के माध्यम से आपने जीवन के बिभिन्न आयामों को बड़ी खूबसूरती से पेश किया है। मन करता है बार बार पढ़ते रहें.....आपको इस सुंदर कृति पर लाख लाख बधाइयाँ !!

Comment by Rekha Joshi on August 3, 2012 at 7:24pm

जो बेटी माता बने , ममता देई लुटाय . 
सो बेटी पत्नी बने , कूल का वंश बढ़ाय .
  गर्भ में बेटी बध करे , कैसा धर्म  - रिवाज  ?
जो बेटी  होती नहीं , होत का   पुरुष - समाज ?,अति सुंदर रचना पर मेरी हार्दिक बधाई सतीश जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 3, 2012 at 11:36am

आदरणीय सतीश जी बेहतरीन रचना , बहुत -खूब बधाई हो बधाई....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service