For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम लगायेंगे जबान पर मसाला नहीं,
अपनी गजलो में शऊर का ताला नहीं.


पैरवी उनके हसीन दर्द की क्या करें,
जिनको लगा धूप नहीं, पाला नहीं.


मेहदी की तारीफ हम कैसे कर पाएँ,
गाव मे एक हाथ नही जिसमे छाला नही.


सावन में मिट्टी की खुशबू उनके लिए है,
जिनके घरो से होके बहता नाला नहीं.


गुटखा बेचने के लिए ट्रेनो में घूमता है,
दूध के दांत टूटे नहीं, होश संभाला नहीं.


सर झुका के भजने लिखूंगा, अगर,
सबको रोटी की फ़रियाद, टाला नहीं.


मदहोशी के कसीदो में वो कहाँ है?
जिनके आंसू में 'अम्ल' है, हाला नहीं.

Views: 620

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on March 23, 2012 at 12:56pm

आपने पथरीली जमीं पर फुलवारी की है

रचना  से चमन लालाजार हो गया
बधाई

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 4, 2012 at 8:02am

आनंद भाई बहुत बहुत शुक्रिया. आपकी नज़रें इनायत हुई, हमारी रचना को आगे बढ़ाने के लिए, आभार.

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 12:59pm

योगी जी और शैलेंद्र जी इस कृति को सम्मान देने के लिए आभार

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 12:57pm

योगी जी, मेरी और कोई मंशा नही थी, बात यह है की मई इस पर टाइप करने का अभ्यस्त नही हूँ, और हर बार "bade ai" की मात्रा नही लग रही है, देखिए "mai" का बार बार मई हो जा रहा है. इसलिए ही सवैया नही कह पाया था. घानाक्षरी भी ऐसे ही बिगड़ गई थी. क्षमा प्रार्थी हूँ.

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 12:23pm

सशक्त कृतित्व बधाई स्वीकार करें 

Comment by Team Admin on March 3, 2012 at 11:42am

ऐडमिन (२०१२०३०३०३) :

राकेशजी, आपकी रचनाओं से प्रतीत होता है कि आप गंभीर प्रकृति के रचनाधर्मी हैं.  आप अपनी प्रतिक्रियाओं को अपलोड करने के पूर्व एक बार अवश्य पढ़ लिया करें.  छंदों के नाम सवैया और घनाक्षरी होते हैं. 

आप नये सदस्य हैं, कृपया यह जानें कि ओ बी ओ सामान्य सोशल नेटवर्किंग साइट नहीं है. इस मंच का उद्येश्य एकदम स्पष्ट है.  आगे आप स्वयं निर्णय कर लें कि आप अपनी उपस्थिति से किस तरह का महौल चाहते हैं.  प्रबन्ध समिति की दृष्टि सभी सदस्यों पर रहती है.

आपसे इस मंच पर गंभीरता और अनुशासित आचरण अपेक्षित है.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 3, 2012 at 10:53am

सुन्दर अशार .

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 9:48am

अच्छा जी, कुछ और समझा था. आपकी बात का ध्यान रखूँगा, वैसे तो मैने आपकी सारी ही रचनाए पढ़ डाली है, पर आपके लिखे सवाये और घानकचरी बहुत आचे है, 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 3, 2012 at 8:19am

राकेशजी, अनुरोध है कि आप अपनी रचना के संदर्भ की हुई टिप्पणियों से संबन्धित प्रश्न इसी पटल पर करें.  इससे सभी संदर्भों का समुच्चय बना रहता है.

 

धूप लगा करती है :  फिल वक़्त मेरी कोई रचना इस नाम से उपलब्ध नहीं है, संभवतः भविष्य में हो.  वस्तुतः मेरा इंगित था कि आप अपने सभी शे’र को देख जायँ.

वैसे मेरे लिये अब यह जानना रोचक होगा कि इस पटल पर आप मेरी कौन-कौन सी रचना ढूँढ पाये हैं.  और यह भी कि क्या मेरा रचनाकर्म किसी लिहाज से आपको समीचीन लगा है.

सधन्यवाद

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 7:48am

माननीय अरुण जी, वीनस जी,  सौरभ जी, सादर नमस्कार, सुप्रभात. आप लोगो की तारीफ सर आँखो पर धन्यवाद. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं हम कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२जब जिये हैं दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं हम कान देते आपके निर्देश हैं…See More
4 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service