For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निशा की आँखे  दर्द कर रही थी, कई दिनों से जलन हो रही थी बस हर बार खुद का ख्याल न रखने की आदत और हर बार अपना ही इलाज टाल जाना उसकी आदतों में शुमार हो गया था । सुनील आज जबरदस्ती उसको दृष्टि क्लिनिक ले ही गये ..  . सामने कतार लगी थी । इतने लोग अपनी आँखे टेस्ट करने आये हैं, सोच कर निशा को हैरानी हुई । अपना नंबर आने पर भीतर गयी और डाक्टर की बताई जगह पर चुपचाप बैठ गयी ..  आँखे टेस्ट करते हुए डाक्टर की आँखों में खिंच आई चिंता की लकीरों को निशा ने बाखूबी पढ़ लिया था । स्ट्रेस जांचा जा रहा था उसकी आँखों में कई अलग अलग  मशीनों पर, सुनील परामर्श शुल्क चूका रहे थे अलग अलग काउंटर पर और निशा अलग अलग मशीन पर जाकर आँखे दिखा रही थी । मन चुप था कुछ कह पाने में असमर्थ सा । आखिरकार 3 घंटो के बाद डाक्टर ने अंदर बुलाया और कहा देखिये .. सुनील जी आपकी पत्नी की आँखों में काला मोतिया बिंद की शुरूवात हैं अभी कुछ कहा नही जा सकता, यह दवा डालिए और तीन माह बाद फिर से चेक-अप के लिय आइये । बस हम वापिस लौटे, दोनों गम में थे, अपनी अपनी सोचो की परिधि में ... कि इलाज का खर्च कितना आयेगा, घर कौन सम्हालेगा, क्या मेरी आँखे ठीक हो पायेगी ..... वैसे ही मैं अकेली हूँ मन से और अब ??? बस अपनी गति से चल रही थी और उन दोनों का मन अपनी गति से ..........

  • नीलिमा शर्मा

Views: 421

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neelima Sharma Nivia on February 17, 2013 at 5:03pm

रचना पसंद करने के आप का हार्दिक अभिनन्दन Meena Pathak ,Kishan Kumar ji 

Comment by Meena Pathak on February 17, 2013 at 4:52pm

बहुत सुन्दर सोच नीलिमा सखी  ...

Comment by Neelima Sharma Nivia on February 17, 2013 at 4:31pm

रचना पसंद करने के आप सबका हार्दिक अभिनन्दन Er Ganesh Jee Bagi,Vijay Nikore jee

Comment by Neelima Sharma Nivia on February 17, 2013 at 4:26pm

रचना पसंद करने के आप सबका हार्दिक अभिनन्दन  Dr Prchi Singh jee ,Saurabh Panday jee ,Parveen Malik jee 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 16, 2013 at 4:55pm

जनसाधारण के मन की उहापोह... 

............. वैसे ही मैं अकेली हूँ मन से और अब ??? ...यह पंक्ति जैसे ह्रदय को बेधती हुई चिंतन को झकझोर गयी.

इस रचना के लिए बधाई आ. नीलिमा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2013 at 1:32pm

जो होता हुआ दिखता है, वही नहीं होता रहता -- इस भाव का सुन्दर चित्रण. लेखिका की रचना से गुजरना भला लगा है.

बधाई.. .

Comment by Parveen Malik on February 16, 2013 at 12:50pm

इंसान की गति से मन की गति ज्यादा तेज़ होती है ... मनोभावों का सुन्दर चित्रण ... बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 12:01pm

एक साधारण दम्पति के मनोभाव को बहुत ही खूबसूरती से अभिव्यक्त किया गया है , लेखिका को बहुत बहुत बधाई ।

Comment by vijay nikore on February 16, 2013 at 10:33am

आदरणीया नीलिमा जी:


सोच ऐसी अद्भुत चीज़ है कि कोई नहीं जान पाता

कि किस के मन पर क्या गुज़र रही है।


सरल शब्दों में अच्छी लघु कथा के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
15 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
23 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service