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एक छायावादी , एक छातावादी -डॉo विजय शंकर

वह जो
तपती दुपहरी मे
चिलमिलाती धूप में ,
जी तोड़ परिश्रम कर रहा है ,
पसीने में नहाया ,
कमा रहा है अपने लिए ,
अपने निजी सुख के लिए ,
वह सुख जो एक कल्पना है ,
तपती दुपहरी में भी वह एक
अदृश्य छाया का सुख भोग रहा है ,
कैसा छायावादी है वह ,
घोर अन्धकार में भी
रौशनी के मजे ले रहा है।
कठोर कष्ट में भी कैसा सुखद
काल्पनिक सुख भोग रहा है I
वह एक छायावादी है।
वह एक छायावादी है।

और एक वह है जो ,
विभिन्न सुरक्षा - कवचों में बैठा ,
धूप , धूल और अन्धकार से मुक्त
शानो- शौकत में तमाम
ऐशो-आराम में रह कर भी
कितने कष्ट झेल रहा है।
सैकड़ों सेवक उस पर
छाते ताने रहते हैं ,
तरह तरह के छाते।
कि कहीं से भी कोई
किरण ऐसी न आ जाये
जो उसे लेश-मात्र भी छू जाए ,
और उसकी आह निकल जाए ,
कितने कष्ट उठा रहा है वह ,
हमारे लिए ,
वो सोच रहा है , हमारे लिए,
कब से ?
सदियों से ,
और हम उसके
छाते पर प्रश्न लगाएं ?
इतने निर्दयी तो नहीं हैं हम ,
कि उसे छाता धारी भी न बनाएं ,
वो है हमारा छातावादी ,
छातों से सुसज्जित , ढका हुआ ,
हमारा प्यारा छातावादी I

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on February 23, 2016 at 11:59am
आदरणीय सुशील सरना जी ,आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , आप द्वारा इंगित टाइप त्रुटियाँ ठीक कर दी गयी है , धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 23, 2016 at 11:56am
आदरणीय सतविंदर कुमार जी ,आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Sushil Sarna on February 22, 2016 at 7:58pm

आदरणीय सुंदर भावभियक्ति हुई है । क्षमा सहित कहीं कहीं अक्षरी अशुद्धि से प्रवाह में प्रभावित हो रहा है जैसे -छेल,छतावादी   ... ये टंकण त्रुटि है। कृपया अन्यथा न लेवें। इस सुंदर प्रस्तुति के लिए  बधाई स्वीकार करें। 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 22, 2016 at 2:30pm
बेहद सुंदर भावों का संकलन।हार्दिक बधाई इस रचना के लिए।

कृपया ध्यान दे...

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