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सम्मान हो इनाम(lलघुकथा)

मिन्दो बस्ती की अकेली लडकी, जिस ने सिलाई कड़ाई के काम में सिखलाई प्राप्त कर घर में काम शुरू किया, मगर उतना काम न मिलता कि गुजरा हो सके, तभी उसने रविन्द्र की फैक्टरी में काम पर रखने के लिए विनती की, तो रविन्द्र ने उस से कुछ बातें की और उसे सिलाई के काम पर रख लिया I बाप तो बचपन में ही उन्हें छोड़ कर कहीं चला गया था I शुरू में तो उसे उनके मुताबिक काम करने व् समझने में समस्या आई, मगर जल्दी ही उसने खुद को बाकी लोगों के साथ अडजस्ट कर लिया और धीरे धीरे उसकी काम में दिलचस्पी बढने लगी तो उस ने अब उस की सिलाई में सफाई व् सुधार होने लगा I हर महीने बेहतरीन काम करने वाले कारीगर को इनाम दिया देने के लिए इस बार उस का नाम नोटिस में लगा I आज मिन्दो खुद पर गर्व महसूस कर रही थी I जब इनाम के लिए स्टेज पर बुला कर उसे इनाम दिया गया तो उस के मन में आया कि वह कुछ बोले,पर अब तक वो अपने स्थान पे जा कर बैठ चुकी थी, वह सोच ही रही थी रविन्द्र ने कहा , मिन्दों अब आप से कुछ बात भी करेगी I मिन्दो को उठती देख एक बजुर्ग पहले ही माईक पर पहुँच गया I मुझे अब समझ आ रहा है, मिन्दों अकेली नहीं, अब तोसमय की हवा भी इस के साथ हो चली है, हम कैसे ..... I “अब यह मिन्दों जैसे लोग हमारे लिए नहीं अपने लिए भी काम करेगें I उसने आगे बोलना जारी रखते हुए कहा ,मिन्दों के काम को सम्मान देना ही उस के लिए सब से बढ़ा इनाम है I भाईयो और बहनों,अगर किसी को मौका मिले तभी पता चलता है” कोई क्या कर सकता है , बजुर्ग स्टेज नीचेआ मिन्दों के सर को पलोसने लगा I

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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 27, 2016 at 11:29pm

 इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई 

Comment by pratibha pande on January 26, 2016 at 12:19pm

सुन्दर कथा ,अलग ही अंदाज़ में ,बधाई  आपको आदरणीय मोहन बेगोवाल जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on January 25, 2016 at 6:08pm

हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल जी!!बेहतरीन प्रस्तुति!

Comment by Samar kabeer on January 25, 2016 at 5:39pm
जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,इस शानदार लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करें !

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