For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धनी बहुत थे मगर अब फ़क़ीर कितने हैं
हमारे युग मे बताओ कबीर कितने हैं

जो युध भूमि मैं छाती को ढाल करते हों
तुम्हारे पास बताओ वो वीर कितने हैं

सती प्रथा पे करो टिप्पणी वरन सोचो
बिना चिता के सुलगते शरीर कितने हैं

जो देखीं सिलवटें मुख पर युवा भिखारॅन के
समझ गया हूँ यहाँ दानवीर कितने हैं

मिले हैं बन के अपरिचित सदा इसी कारण
उन्हे पता ना चले हम अधीर कितने हैं

Views: 409

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Babita Gupta on May 19, 2010 at 12:25pm
जो युध भूमि मैं छाती को ढाल करते हों
तुम्हारे पास बताओ वो वीर कितने हैं

bahut sadhi hui ghazal, saral bhasha mey bahut badi baatkah sakney mey samarth yey khubsurat ghazal,
Comment by fauzan on May 17, 2010 at 11:58pm
Yograj bhai.....ab aap sharminda kar rahe hain mujhe.
Comment by fauzan on May 17, 2010 at 11:56pm
Pretam bhai....dhanyawad.
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 16, 2010 at 4:31pm
धनी बहुत थे मगर अब फ़क़ीर कितने हैं
हमारे युग मे बताओ कबीर कितने हैं
bahut sahi likha hai aapne fauzan bhai......bahut bahut dhanyabaad itni acchi gajal humlogo ke beech post karne ke liye........
Comment by Kanchan Pandey on May 16, 2010 at 3:20pm
Bahut hi khubsurat andajey-bayan hai aapki, bahut badhiya, Thanks,

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 16, 2010 at 12:03pm
फौज़ान भाई इतनी बुलंद खयाली? बात को कहने का इतना बेहतरीन अंदाज़? ये तेवर और ये सादगी? गजब है गजब ! आपके आश'आर पढ़ कर मेरे दिमाग से शायर होने की खुश-फ़हमी दूर हो गयी है, आपकी शागिर्दी करनी पड़ेगी मेरे पीर-ओ-मुर्शिद !
Comment by fauzan on May 15, 2010 at 12:44pm
Admin saheb

Thanx a lot

Regards
fauzan
Comment by fauzan on May 15, 2010 at 12:43pm
Ganesh Ji
Prashansa ke liye dhanyawad.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 15, 2010 at 8:37am
ग़ज़ल-१ इ तरह ही ये ग़ज़ल भी बहुत ही सुंदर और ससक्त बना है,खास कर के ये लाइने बहुत ही प्यारा लगा मुझे ....
सती प्रथा पे करो टिप्पणी वरन सोचो
बिना चिता के सुलगते शरीर कितने हैं
Comment by Admin on May 15, 2010 at 7:55am
मिले हैं बन के अपरिचित सदा इसी कारण
उन्हे पता ना चले हम अधीर कितने हैं,

फौजान साहब आपकी ये ग़ज़ल भी बहुत ही उम्द्दा है, जबरदस्त लिखे है, मुझे तो काफ़ी पसंद आया, ऊपर वाला आप की लेखनी को इसी तरह कायम रखे यही दुआ है, आगे भी हम सब को आपकी रचनाओ का इंतजार रहेगा, धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service