For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जमाने से चलती हवाओं का रूख मोड़ देंगे,
बदबू साफ़ कर उसमें सिर्फ सुगंध छोड़ देंगे.

मौसम भी अगर दगा दे हमसे रूठ जाता है,
बादल से हम अपने बाग़ को सीधे जोड़ देंगे.

कल तक जो मेरे राहों में कांटें बिछाती थी,
पलकें बिछाकर उसका गुरूर हम तोड़ देंगे.

औरों की मुस्कराहट ही हमारी ईमान होगी.
तुम्हें खुश रखने को, अपना जख्म छोड़ देंगे.

जमाना साथ देने के बजाय टांग खिंचेगी,
प्रेम का रस पिलाने को पत्थर निचोड़ देंगे.

दौड़ रही है जितनी गाड़ी नफरत की पटरी पे,
हम मिलकर उसे प्यार की राह में मोड़ देंगे.

बेकसूरों का जो खून बहा कर शेर बनते हैं,
वक्त आ गया है हम उनकी कलाई मरोड़ देंगे.

भ्रष्टाचार और हिंसा का घड़ा अब भर चूका है,
पाप के घड़े के साथ ही सारा भांडा फोड़ देंगे.

रहमदिल इंसानों का सदा रहना तूं "ग़ुलाम",
इंसानियत के खातिर "कुन्दनम" करोड़ देंगे.

Om – Onkaar – Allah – God - Om.Sai.Ram - Madre.Watan.Hind - Vande.Matram.

-GK,
Citizen of Azad Hind Desh (PK+IN+BD)

Views: 267

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Bhasker Agrawal on December 8, 2010 at 3:19pm
कल तक जो मेरे राहों में कांटें बिछाती थी,
पलकें बिछाकर उसका गुरूर हम तोड़ देंगे.

औरों की मुस्कराहट ही हमारी ईमान होगी...bahut acchi lines hein

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
10 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service