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कह मुकरियाँ [6 से 10]

6.

जीवन मेरा रोशन करता
सूरज जैसे तम को हरता
उस बिन धड़के मेरा जिया
क्या सखि साजन ? ना सखि दीया
7.
चले संग वो धड़कन जैसे
उस बिन कटे बताऊँ कैसे
रखे हिसाब हर पल हर कड़ी
क्या सखि साजन ? नहीं सखि घड़ी

8.

पलकें मीचूं सपने लाता
कोमलता से फिर सहलाता
छोड़े ना वो पूरी रतिया
क्या सखि साजन? ना सखि तकिया
9..
नया रूप ले रात को आता
दिन चढ़ते वैरी छुप जाता
छिपता जाने कौनसी मांद
क्या सखि साजन ? ना सखि चाँद
10.
तुम से रूप निखरता दूना
बिन तेरे लगता है सूना
अखियाँ मीचूं रूठे पागल
क्या सखि साजन ? ना सखि काजल

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 4, 2014 at 12:56pm

कह्मुकारियों पर सुन्दर प्रयास हुआ है आ० सरिता जी 

चले संग वो धड़कन जैसे 
उस बिन कटे बताऊँ कैसे......................यह पंक्ति कुछ अस्पष्ट सी लग रही है  
रखे हिसाब हर पल हर कड़ी...................शब्द संयोजन में कलों के निर्वहन से गेयता का अटकाव ख़त्म हो सकता है 
क्या सखि साजन ? नहीं सखि घड़ी

तुम से रूप निखरता दूना......................यहाँ तुम किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ? कह्मुकरी में साजन का ज़िक्र हमेशा ही थर्ड पर्सन की तरह होता है ...तुम लिख देने से सखी के लिए ये वाक्य कहे जाने का भ्रम हो रहा है , जोकि एक बड़ा दोष है 
बिन तेरे लगता है सूना ...........................इसी तरह इस पंक्ति में तेरे शब्द से यही दोष उत्पन्न हो रहा है 
अखियाँ मीचूं रूठे पागल 
क्या सखि साजन ? ना सखि काजल

आशा है मैं अपना कहा स्पष्ट रूप से प्रेषित कर पायी 

इस प्रयास पर मेरी शुभकामनाएं 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 4:02pm

आदरणीय आशुतोष जी तह दिल से शुक्रिया आपको कह् मुकरियां पसंद आई 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 4:01pm

आदरणीया आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 4:01pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आभारी हूँ 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 4:00pm

आदरणीय जितेन्द्र जी हार्दिक आभार जी 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 3:59pm

आदरणीय राम भाई जी हार्दिक आभार आशीर्वाद बनाये रखें 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 3:58pm

आदरणीय श्याम जी आभार ...सादर 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 3:58pm

आदरणीय नीरज जी हार्दिक आभार 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 23, 2014 at 7:43pm

आदरणीया सरिता जी ..आज तो आपकी सभी कह्मुकरियाँ एक से बढ़कर एक है ..अंत तक की हर पंक्ति सजन का ही भ्रम कराती है और फिर जवाब सुनते ही आनद आ जाता है ...हार्दिक बधाई के साथ सादर 

Comment by savitamishra on February 23, 2014 at 7:13pm

बहुत बहुत  सुन्दर 

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