For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी मेरे कहीं कुछ कहानी तो है

ग़ज़ल:


तेरी मेरी कहीं कुछ कहानी भी है
प्यार में तैरती ज़िन्दगानी भी है

मत डरो देख तुम इस जमन की लहर
रासलीला तुम्हीं संग रचानी भी है

आँसुओं से नहाती रही उम्र-भर
तू ही चंपा मेरी रातरानी भी है

फूल जब मुस्कुराएँ तो समझा करो
इन बहारों में अपनी जवानी भी है

बाँध मत प्यार की बह रही है नदी
है रवाँ जिसमें उल्फ़त का पानी भी है

साथ देता हमेशा रहा हमसफ़र
ज़िन्दगी इसलिए तो सुहानी भी है

अब न छोड़ेगा तुमको अकेला 'अमर'
ज़िंदगी साथ हमको बितानी भी है

अमर पंकज
(डाॅ अमर नाथ झा)
देहली यूनिवर्सिटी

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amar Pankaj (Dr Amar Nath Jha) on June 12, 2019 at 12:06pm

आदरणीय दंडपाणी नाहक साहेब। आपको ग़ज़ल पसंद आई। हमारा आभार स्वीकार करें। धन्यवाद। 

Comment by Amar Pankaj (Dr Amar Nath Jha) on June 12, 2019 at 12:04pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब, प्रणाम। आपने ग़ज़ल पढ़ी और अपनी बहूमूल्य टिप्पणी दी, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आपके कहे अनुसार एक शेर के मिसरा- सानी में बदलाव करता हूँ। दूसरा और तीसरा शेर मुझे बहुत प्रिय है, अतः उनमें सुधार की कोशिश करता हूँ। 

यूँ ही आपका आशीर्वाद बना रहे। प्रणाम। 

Comment by Samar kabeer on June 7, 2019 at 6:41pm

जनाब अमर पंकज जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

दूसरे और तीसरे शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,उन्हें हटा दें ।

'ज़िंदगी अब तलक ये सुहानी भी है'

इस मिसरे को यूँ कर लें:-

'ज़िन्दगी इसलिए तो सुहानी भी है'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service