For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो इक अलाव सा जिगर में लिए फिरते हैं ,
चिराग महल के झोपडी के खूँ से जलते हैं !

बंद भारत ने ठंडे कर दिए चूल्हे लाखों ,
है किस तरह की जंग रहनुमा जो लड़ते हैं

रोटियां सेंकते लाशों पे आपने लालच की,
ये कर्णधार मुझे तो जल्लाद लगते हैं !

वो ढूँढते है भगवान को मंदिर की ओट से,
हमारी आस्था ऐसी जो चक्की भी पूजते हैं !

अपना जाना जो उन्हें जान जाएगी "बागी"
वो ज़हरी नाग हैं जो आस्तीं में रहते है !

( मैं आदरणीय योगराज प्रभाकर जी , प्रधान संपादक , ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट काम का शुक्रगुजार हूँ जिनके निगेहबानी में इस ग़ज़ल को इस स्वरुप मे प्रस्तुत कर पा रहा हूँ | )

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 23, 2014 at 5:41pm

आदरणीय बागी जी
अचानक इस पोस्ट पर नज़र पड़ी..अच्छा लगा पढ़कर.. मुबारकबाद

Comment by guddo dadi on September 28, 2010 at 5:09pm
क्षमा करना कुछ दिन शल्य्कारी के कारण उपस्तिथ न हो सकुंगी
धन्यवाद
Comment by Hilal Badayuni on September 23, 2010 at 1:37am
choti munh badhi baat , achchi rachna /kavita hai ghazal k liye wazan ka khyaal rakha keriye shukriya
Comment by आशीष यादव on July 18, 2010 at 2:14pm
bahut khub. yes its a very sensitive

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 13, 2010 at 12:22am
आदरणीया गुड्डो दादी, आदरणीय बब्बन भैया , गुरु जी , मित्र राणा जी , विवेक जी आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद , जो मेरी पहली ग़ज़ल पर अपनी टिप्पणी देकर मेरी हौसला अफजाई किये ,
Comment by Rash Bihari Ravi on July 12, 2010 at 4:22pm
वो ढूँढते है भगवान को मंदिर की ओट से,
हमारी आस्था ऐसी जो चक्की भी पूजते हैं !

अपना जाना जो उन्हें जान जाएगी "बागी"
वो ज़हरी नाग हैं जो आस्तीं में रहते है !

jai ho kam hain jai jai kar hooooooooooooooo

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 11, 2010 at 5:51pm
बागी भैया अब जो ग़ज़ल संपादक जी के हांथो से होकर गुज़री हो तो उसे तो अच्छा होना ही है. बड़े सुन्दर भावों को समेटा है आपने. मुझे ग़ज़ल का मतला और दूसरा शेयर खासा पसंद आया.
Comment by baban pandey on July 11, 2010 at 8:21am
बंद भारत ने ठंडे कर दिए चूल्हे लाखों ,
है किस तरह की जंग रहनुमा जो लड़ते हैं......bandh ke pichhe ka sach in do lines me ....shukriya ganesh bhai .....guru prabkhakar bhai aashirvad hai hamlogo par ...jai ho
Comment by विवेक मिश्र on July 11, 2010 at 12:33am
waah-waah.. bahut khoob..
Comment by guddo dadi on July 11, 2010 at 12:14am
कितनी बड़ी बात लिखी
बहुत ही जी के लिखा
वो ढूंढते है भगवान को मंदिर की ओट में
हमारी आस्था ऐसी है जो चक्की भी पूजते हैं कि

प्रधान मंत्री वाहिट हाउस अमेरिका में खाना खाते है
,२०० टन सोना खारीदते है चीनी बेचते हैं
उन्ही के विमान से शाराब की बोतले भी चोरी होती हैं
अपने देश में निर्धन की रोटी रोत्ती है
पाटिल को सिल्क की परिधान ही पहनती हैं
निर्धन की लड़की दहेज के आभाव में बिन ब्याही रह जाती है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service