For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिस मुल्क में ग़रीब के लब पर हँसी नहीं (२९ )

जिस मुल्क में ग़रीब के लब पर हँसी नहीं 
तो मान कर चलें कि तरक़्क़ी हुई नहीं 
**
जुम्लों के दम पे जीत की आशा न कीजिये 
चलती है बार बार ये बाज़ीगरी नहीं 
**
तहज़ीब क़त्ल-ओ-ख़ून की परवान चढ़ रही 
लगता है आदमी रहा अब आदमी नहीं 
**
उम्मीद रहगुज़र कोई मिलने की मत करें 
मंज़िल के वास्ते है अगर तिश्नगी नहीं 
**
चाहें ख़ुशी जो आप तो घर में तलाशिये 
बाजार-ए-ग़म में तो कभी बिकती ख़ुशी नहीं 
**
ताक़त उन्हें दिखाइए करते जो ज़ुल्म हैं 
कमज़ोर को सताना तो मर्दानगी नहीं 
**
मुश्किल में उस बशर का है सफ़र-ए-हयात मान 
इंसान जिसको होती है दीदावरी नहीं 
**
कर ले वुज़ू 'तुरंत' कि गंगा में ले नहा 
होगा न पाक दिल में जो पाकीज़गी नहीं 
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on February 21, 2019 at 11:05am

जी,बहतर है ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 1:52am

आदरणीय Samar kabeer साहेब ,आदाब | आपकी हौसला आफजाई के लिए बहुत बहुत आभार | सुखन -परवरी का अर्थ मैंने 

سخن پروری

promoting poetry, patronising the good word देखा था उसी हिसाब से प्रयोग कर लिया | वैसे भी इस शेर को हटाना ही ठीक होगा | हालाँकि मैंने इसे कुछ लोग बेबह्र ग़ज़ल के नाम से कुछ भी लिख रहे हैं उनके लिए लिखा था | 

Comment by Samar kabeer on February 19, 2019 at 2:16pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'ग़ज़लें बग़ैर बह्र के होती न शाइरी 
ये हरक़तेँ जनाब सुख़न-परवरी नहीं'

'सुख़न परवरी' का अर्थ,ज़िद,हठधर्मी होता है,ग़ौर करें,और ऊला में 'ग़ज़लें,और शाइरी पर विचार करें ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 18, 2019 at 4:02pm

जनाब Surkhab Bashar साहेब ,आदाब ,आपकी हौसला आफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया | मुहब्बत बनाये रखें | 

Comment by Surkhab Bashar on February 18, 2019 at 3:01pm

आ. तुरंत जी आदाब बहुत खूब अशआर पढ़वे को मिले

लगता है आदमी रहा....... वाह वा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service