For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: बारम्बार सियासत की क्या (५ )

( 22 22 22 22 22 22 22 2 )
***
बारम्बार सियासत की क्या यह नादानी अच्छी है ? 
धर्मों की आपस में क्या आतिश भड़कानी अच्छी है ? 
***
रखना दोस्त बचाकर मोती कुछ ख़ुशियों की  ख़ातिर भी 
छोटे मोटे ग़म पर आती क्या तुग़्यानी* अच्छी है ?(*बाढ़ )
***
सोचा समझा था पुरखों ने फिर कानून बनाये कुछ 
आज़ादी की ख़ातिर तन की क्या उर्यानी* अच्छी है ?(*नंगापन )
***
करने दो परवाज़ उसे भी आज़ादी बेटी का हक़ 
छूट मिले बेटे को उस पर क्या निगरानी अच्छी है ? 
***
आप किसी की मूरत तोड़ें या तोड़ें विश्वासों को 
हर हालत में सोचें सब क्या यह मनमानी अच्छी है ?
***
एक नज़र तो डाल नई नस्लों पर आज सियासतदाँ 
सोच जवानों के सपनों की क्या कुर्बानी अच्छी है ? 
***
मान लिया वीरान किया तेरे जीवन को उसने पर 
ग़ौर किया जीने की ख़ातिर क्या वीरानी अच्छी है ?
***
बांधों पक्की डोर नहीं तो टूटेंगे या बिखरेंगे 
रोज़-ओ-शब की रिश्तों में क्या खींचातानी अच्छी है ?
***
लिखते सच पर ग़ौर नहीं करता कोई जब आज 'तुरंत '
सोचा है क्या तेरी यह आदत बचकानी अच्छी है ?
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |
27  /12 /2018

(मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 588

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 1, 2019 at 10:00pm

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहेब आपकी सराहना से दिल बाग़ बाग़ हो गया | हार्दिक आभार एवं सादर नमन | 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2019 at 7:50pm

आ. गिरधारीलाल जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 30, 2018 at 10:54pm

भाई राज़ नवादवी जी ,जहाँ तक मेरा ख्याल है आतिश स्त्रीलिंग है इसलिए भड़कानी ही सही प्रयोग है ,दूसरा रदीफ़ चूँकि अच्छी है लिया गया है इसलिए भी   भड़कानी ही सही प्रयोग होगा | इसका हिंदी अर्थ भी लिया जाये तो भी भड़कानी ही सटीक बैठ रहा है | अगर मैं इस ग़ज़ल को आना क़ाफ़िया लेकर दुबारा  लिखूं तो शायद रदीफ़ अच्छा है लेकर भड़काना लेना सही होगा | लेकिन आपकी सलाह को नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता | क्योंकि आपका दिया गया मिसरा भी सही है अगर रदीफ़ बदल दिया जाये जो फ़िलहाल ग़ज़ल में मुमकिन नहीं लगता | एक बात और आपकी पंक्ति से धर्मों का आपस में क्या आतिश भड़काना अच्छा है-से यह लग रहा है कि धर्म खुद आग भड़का रहे हैं | जबकि "धर्मों की "करने से ऐसा मुझे लगा की लोगों द्वारा धर्मों की आपस में आग भड़कानी  अच्छी बात है क्या ? खैर,महत्वपूर्ण मेरे लिए ये है कि इस पंक्ति पर आपकी विशेष नज़र गई | वैसे मेरी ग़ज़लों में इस्लाह की गुंजाईश रहती ही है और आपकी इस्लाह से मुझे भी कुछ सीखने का मौका मिलेगा | इसके लिए और ग़ज़ल पर दाद से नवाजने के लिए तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | 

Comment by राज़ नवादवी on December 30, 2018 at 6:25pm

आदरणीय गिरधारी सिंह साहब, अच्छी ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ. कृपया इस मिसरे में नज़रे सानी करें- 

धर्मों की आपस में क्या आतिश भड़कानी अच्छी है ?

क़वायद के मुताबिक़ सही मिसरा होगा- 

'धर्मों का आपस में क्या आतिश भड़काना अच्छा है'

सादर 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 29, 2018 at 8:54pm

आदरणीय Samar kabeer जी,आदाब , दुरुस्त फ़रमाया के टाइपिंग मिस्टेक है | ग़ज़ल की दाद देकर आपने जो हौसला आफजाई की है उसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | 

Comment by Samar kabeer on December 29, 2018 at 7:59pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

रखना दोस्त बचाकर मोती कुछ ख़ुशियों के ख़ातिर भी'

इस मिसरे में 'के' की जगह "की" करलें क्योंकि 'ख़ुशियों' और 'ख़ातिर' शब्द स्त्रीलिंग हैं । 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 29, 2018 at 11:17am

भाई Md. anis sheikh जी ,

बे'पनाह, मुहब्बतों, नवाज़िशों का दिल से बे'हद शुक्रिया ! शाद-औ-आबाद रहें

Comment by Md. Anis arman on December 29, 2018 at 11:13am

अच्छी ग़ज़ल हुई है गिरधारी सिंह गहलोत "तुरंत " जी दाद के साथ बहुत बहुत बधाई l

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service