For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

टूट कर बिखरते
हौले हौले संवरते
क्या देखा है आपने?
किसी कविता को,
गिरते-संभलते !!
मैंने देखा है--
अगणित बार..
हृदय-तल पर
शब्दो की उंगलियों का
सहारा पा-
किसी नन्हे शिशु की भांति
डगमगाते हुवे
एक एक कदम उठाते !
फिर आहिस्ता आहिस्ता
वाक्यों के लंबे लंबे डग
नापते !
हाँ देखा है मैंने!
कविता को-
टूटते-संवरते,
गिरते-संभलते,
बनते-बिगड़ते !!

मौलिक एवं अप्रकाशित
(अतुकांत कविता)

Views: 797

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by V.M.''vrishty'' on October 12, 2018 at 9:12am
आदरणीय समर कबीर जी, प्रणाम! शुभ प्रभात!
मैं आपसे ये जानना चाहती हूं कि आजकल हिंदी गज़लों का जो दौर है, क्या उनमें बहर की बाध्यता होती है???? और आपके क्या विचार है इस विषय पर?, आप आज़ाद ग़ज़ल , जो बहर के नियम से मुक्त हो ,उसके विरोधी हैं या समर्थक???
सादर!!
Comment by V.M.''vrishty'' on October 11, 2018 at 6:05pm
आदरणीय डॉ छोटेलाल जी, मेरी रचना आपके खुशी का साधन बन कर धन्य हुई। बहुत बहुत आभार।
Comment by V.M.''vrishty'' on October 11, 2018 at 6:04pm
आदरणीय समर कबीर जी, प्रणाम!रचना की प्रशंसा एवं आपके स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद! मैं हमेशा आपके टिप्पड़ियों की मुन्तजिर हूँ।
Comment by V.M.''vrishty'' on October 11, 2018 at 5:58pm
जनाब मोहित मिश्रा जी, शुभ संध्या! बहुत बहुत आभार आपके स्नेह एवं टिप्पड़ी के लिए। आपके शब्द मेरे उत्साहवर्धन में सहायक हैं। पुनः धन्यवाद!
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 11, 2018 at 5:43pm

आदरणीया वृष्टि जी बहुत बेहतरीन अतुकांत दिल खुश होगया बधाई कुबूल कीजिए

Comment by Samar kabeer on October 11, 2018 at 2:42pm

मुहतरमा "वृष्टि" जी आदाब,बहुत सुंदर अतुकान्त कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

इस मंच पर महीने में चार आयोजन होते हैं,जिसके बारे में मुख्य पृष्ठ से जानकारी मिल जायेगी,एक आयोजन तो आज रात 12 बजे से चालू होगा,आप उसमें भी हिस्सा लें तो अच्छा लगेगा ।

Comment by V.M.''vrishty'' on October 11, 2018 at 10:27am
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी, प्रणाम!
आपकी प्रतिक्रिया एवं सुझाव के लिए अत्यंत आभार! आपका सुझाव सर्वथा उचित है। कभी कभी इंसान जानकारियाँ होने के बावजूद गलतियाँ कर जाता है। कभी जल्दबाजी में,तो कभी टेक्निकल फॉल्ट। आगे से ध्यान रखने की कोशिश करूँगी।
सादर!
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2018 at 10:19am

हाँ देखा है मैंने!
कविता को-
टूटते-संवरते,
गिरते-संभलते,
बनते-बिगड़ते !!

आदारणीया वी ऍम वृष्टि जी अत्यंत सुंदर अतुकांत रचना है । आपको हार्दिक बधाई । शब्द हुवे को हुए और संभलते सँभलते लिखना मेरे विचार से ठीक होगा । 

सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service