For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हृदय-सम्बन्ध ...क्षणिकाएँ (५-८)

हृदय-सम्बन्ध - ५

संकोच,  घबराहट

ढुलता  अश्रुजल

हर  प्रवाह  के  नीचे

एक  और  प्रवाह

पता नहीं भूचाल था वह, या

था कोई भीषण प्रकम्पक तूफ़ान

दुर्दम  मझधार, छूट  गई  पतवार

क्या  इतना  दुर्बल  था  प्यार ?

           ------

हृदय-सम्बन्ध - ६

विचित्र अनुभव ...

किसी काल्पनिक भय का

विराटकाय  रूप

मौत की आखिरी मात-सा

विषमय  अभिषाप-सा

मानो प्रलय से पहले रच रहा षडयत्रं 

तमोमय  यमराज  खड़ा  द्वार  पर

             ------

हृदय-सम्बन्ध - ७

आँसूओं  से  डबडबाई  आँखें

जानता हूँ बहुत कठिन थे वह पल

घुटते  सुबकते  ओठों  पर तुम्हारे

बुलबुलों  की  तरह  काँपते-फूटते

विदा में तुम्हारे वह अंतिम शब्द ...

"मेरे  प्यार

तुम चले जाओ"

             -----

हृदय-सम्बन्ध - ८

व्यथा में घुली नामहीन

दर्द भरी गहरी पुकार

पता नहीं कहाँ रह गई है

जीवन की व्यक्तित्वहीन नाव

थम गई है धड़कन कब से

बुझ चुके हैं अब सब तारे भी

सुन, मेरी  बेचैन  ज़िन्दगी

सो जा... नींद आ रही होगी

             -----

---  विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1004

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on April 4, 2018 at 9:20am

सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय नरेन्द्र्सिहं जी

Comment by narendrasinh chauhan on April 2, 2018 at 9:29am
खुब सुन्दर रचनाये हार्दिक बधाई
Comment by vijay nikore on March 19, 2018 at 7:21am

इस मान और सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीया अनामिका जी।

Comment by vijay nikore on March 19, 2018 at 7:12am

सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय अशोक जी

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 14, 2018 at 9:47pm

आदरणीय विजय निकोर साहब सादर, ह्रदय सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न परिस्थितियों को लेकर रची सभी क्षणिकाएँ दमदार हैं. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर.

Comment by Anamika singh Ana on March 14, 2018 at 9:45pm

आदरणीय  विजय निकोर जी , बहुत ही सुंदर ,दिल को छूती  क्षणिकाओं का सृजन किया है सादर , हार्दिक  बधाई स्वीकारें l

Comment by vijay nikore on March 14, 2018 at 7:54am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय बृजेश जी

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 8, 2018 at 7:11pm

वाकई इसे कहते हैं गागर में सागर..बेहतरीन आदरणीय विजय जी.

Comment by vijay nikore on March 8, 2018 at 11:35am

//विछोह , एकाकीपन, किसी दुर्दम मझधार में पतवार का हाथ से छूट जाना//

सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय विजय शंकर जी।

Comment by vijay nikore on March 8, 2018 at 11:33am

//कुछ रचनायें और क्षणिकायें ऐसी होती हैं जिन्हें जितनी बार ध्यान से पढ़ें, उतने ही गहरे भाव समझ में आने लगते हैं।//

इनको इतनी गहराई से पढ़ने के लिए और मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब। टंकण त्रुटियाँ सुधार रहा हूँ, आपका हृदयतल से आभार, भाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
11 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
11 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
12 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service