For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साथ तुम नहीं होते कुछ मज़ा नहीं होता- सलीम रज़ा रीवा

212 1222   212 1222

साथ तुम नहीं होते कुछ मज़ा नहीं होता
मेरे घर में खुशियों का सिलसिला नहीं होता 
-
राह पर सदाक़त की गर चला नहीं  होता 
सच हमेशा कहने का  हौसला नहीं होता
-
कोशिशों से  देता  है  रास्ता समंदर भी
हौसला रहे क़यिम फिर तो क्या नहीं होता
-
कम खुशी नहीं होती मेरे घर के आँगन में 
दिल अगर नहीं बंटता, घर बंटा नहीं होता
-
थोड़े ग़म ख़ुशी थोड़ी,थोड़ी सिसकियाँ भी है
ज़िन्दगी से अब हमको कुछ गिला नहीं होता
-
डूबती नहीं कश्ती पास आके साहिल के 
बे वफ़ा अगर मेरा  नाख़ुदा  नहीं  होता 
-
उसकी शोख़ नज़रों ने ज़िन्दगी बदल डाली
वो अगर नहीं होता कुछ '' रज़ा '' नहीं होता
.......

मौलिक एवं अप्रकाशित 
 

Views: 838

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on January 2, 2018 at 9:05pm
जनाब अफरोज साहब,
आपकी महब्बत के लिए दिली शुक्रिया.
Comment by SALIM RAZA REWA on January 2, 2018 at 9:05pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी,
बहुत शुक्रिया.
Comment by Afroz 'sahr' on January 2, 2018 at 12:28pm
आदरणीय सलीम रज़ा जी उम्दा कलाम बहुत बधाई आपको,,,
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2018 at 10:03pm

आ. भाई सलीम जी , अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by SALIM RAZA REWA on December 31, 2017 at 11:13pm
आप सभी का दिल से शुक्रिया, महब्बत बनाए रखने के लिए
Comment by SALIM RAZA REWA on December 31, 2017 at 11:11pm
महेंद्र भाई बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by SALIM RAZA REWA on December 31, 2017 at 11:10pm
आ. सुरेंद्र नाथ जी,
आपका शुक्रिया अदा करता हूं.
Comment by SALIM RAZA REWA on December 31, 2017 at 11:08pm
आदरणीय अजय तिवारी जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया.
Comment by SALIM RAZA REWA on December 31, 2017 at 11:04pm

मुहतरम तस्दीक साहिब,

आपकी दुआएँ सलामत रहे 

Comment by SALIM RAZA REWA on December 31, 2017 at 11:03pm
आ. तेज वीर जी,
आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service