For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

११२  ११२  ११२  ११२  ११२  ११२  ११२  ११२

भँवरे कलियाँ तरु  झूम उठें जब फाग बयार करे बतियाँ|

दिन रैन कहाँ फिर चैन पड़े कतरा- कतरा कटती रतियाँ|

कविता, वनिता, सविता, सरिता ढक के मुखड़ा छुपती फिरती|

जब रंग अबीर लिए कर में निकले किसना धड़के छतियाँ|

 

नव लाल गुलाल मले मितवा हँसती सखियाँ हँसती नगरी|

कजरा लहका गज़रा महका  मुख लाल हुआ पिघली सगरी|   

तन काँप उठा धड़का जियरा चुप देह रही चुप होंठ हिले|    

पर बोल पड़ी अँखियाँ पगली छलकी झट प्रीत भरी गगरी|

मौलिक एवं अप्रकाशित  

Views: 1240

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 14, 2017 at 10:51am

आद० लक्ष्मण रामानुज लडिवाल  जी आपका बहुत बहुत आभार आपको ये छंद मुक्तक पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हो गया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 14, 2017 at 10:50am

आद० सुरेश  कुमार कल्याण जी आपका बहुत बहुत आभार आपको ये छंद मुक्तक पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हो गया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 14, 2017 at 10:50am

आद० राम आश्रय  जी आपका बहुत बहुत आभार आपको ये छंद मुक्तक पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हो गया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 14, 2017 at 10:49am

आद० विजय निकोरे  जी आपका बहुत बहुत आभार आपको ये छंद मुक्तक पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हो गया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 14, 2017 at 10:48am

आद० सत्यनारायण सिंह  जी, आपका बहुत बहुत आभार आपको ये छंद मुक्तक पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हो गया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 14, 2017 at 10:47am

आद० महेंद्र कुमार जी आपका बहुत बहुत आभार आपको ये छंद मुक्तक पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हो गया |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 9, 2017 at 3:43pm

अति सुंदर मनोहारी मुक्तक के लिए हार्दिक बधाई -
जब छंद रचे दुर्मिल में तब भाव बने अति सुन्दर सुन्दर
कहना हमको लगती रचना मन भावन रूप मनोहर |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2017 at 1:14pm

आदरणीय गिरिराज जी ,आपको प्रस्तुति पसंद आई दिल से बहुत बहुत आभार आपका सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2017 at 1:13pm

आद० रामबली गुप्ता भैया ,आपका कहना सही है ये सवैया छंद पर आधारित मुक्तक ही हैं शीर्षक में गलती वश ये नहीं लिख पाई इसको ठीक कर लूँगी यह मैं पहली प्रतिक्रिया के वक़्त ही कह चुकी हूँ मैंने सवैया पहली बार नहीं लिखे भैया पहले भी बहुत बार लिख चुकी हूँ मेरी प्रकाशित पुस्तक काव्य कलश में भी सवैया लिखे हुए हैं ,यहाँ सगरी का अर्थ सम्पूर्ण/सारी से लिया है |

आपका सवैया सुन्दर है बहुत बहुत बधाई एवं आभार . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2017 at 1:05pm

आद० सुरेन्द्रनाथ जी ,आपको सवैया छंद पर आधारित ये मुक्तक पसंद आये दिल से बहुत बहुत शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
3 minutes ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service