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ग़ज़ल...गम जहाँ के पहलू में दो चार आ कर बैठ गए

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
2122 2122 2122 212
गम जहाँ के पहलु में दो चार आ कर रुक गये
हम उसी दोराहे पे तब सकपका कर रुक गये

रहगुज़र तपती हुई होती बसर भी कब तलक
दर्द था इफरात में वो छटपटा कर रुक गये

ये अदा भी खूब है उस संगदिल महबूब की
बिन बताये दिल में आये मुस्कुरा कर रुक गये

ज़ुस्तज़ू दीदार की होती मुकम्मल किस तरह
वो अदा से ओढ़ कर घूँघट लजा कर रुक गये

है फ़ज़ाओं में खबर गुजरेंगे वो इस राह से
मोड़ पर हम सर झुका आँखें बिछा कर रुक गये

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

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Comment by Samar kabeer on February 7, 2017 at 7:20pm
'है फ़ज़ाओं में ख़बर गुज़रेंगे वो इस रहगुज़र'
इस मिसरे के आख़री शब्द 'रहगुज़र'से रवानी नहीं आ रही है,ये मिसरा यूँ कहें :-
"है फ़ज़ाओं में ख़बर गुज़रेंगे वो इस राह से"
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 7, 2017 at 6:17pm
अदरणीय मिथिलेश जी रचना पटल पे आपका अभिनन्दन वंदन..सुधार किया है आदरणीय जरा गौर फरमायें..आदरणीय समर जी..
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 7, 2017 at 6:15pm
आदरणीय डा. आशुतोष मिश्र जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार

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Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2017 at 6:12pm

आदरणीय बृजेश जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. बधाई. आदरणीय समर कबीर जी के मार्गदर्शन अनुसार ग़ज़ल में सुधार करेंगे तो ग़ज़ल और निखर जाएगी. सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 6, 2017 at 4:25pm

आदरनीय ब्रिजेस जी रचना पर हार्दिक बधाई ..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 5, 2017 at 8:48pm
आपकी सह्रदयता को नमन आदरणीय समर जी..कुछ सुधार की कोशिस करता हूँ..स्नेह बना रहे..
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 5, 2017 at 8:46pm
बहुत बहुत आभार अदरणीय सुरेन्द्र इंसन जी..अभिनन्दन है
Comment by Samar kabeer on February 5, 2017 at 10:31am
मैंने तो मिसाल के तौर पर ये शैर लिख दिया है,आपके विकल्प सुरक्षित हैं । यहाँ ये बताना था कि शुतरगुर्बा दोष कैसे निकलेगा ।
Comment by surender insan on February 5, 2017 at 8:53am
वाहःहः बेहद लाजवाब जी।bahut achhe bhav ji.टाइप न कर पा या ।कुछ दिक्कत हे।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 4, 2017 at 9:37pm
उचित है..थोड़ा असमंजस और है..यहाँ आपने जो शैर दिया है उसमें न का मात्रा भार 2 लिया??ऐसा संभव है?दूसरा अगर उला मिसरे में 'देख तो' को 'देख तू' कहा जाये तो उचित होगा?सादर

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