For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...गम जहाँ के पहलू में दो चार आ कर बैठ गए

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
2122 2122 2122 212
गम जहाँ के पहलु में दो चार आ कर रुक गये
हम उसी दोराहे पे तब सकपका कर रुक गये

रहगुज़र तपती हुई होती बसर भी कब तलक
दर्द था इफरात में वो छटपटा कर रुक गये

ये अदा भी खूब है उस संगदिल महबूब की
बिन बताये दिल में आये मुस्कुरा कर रुक गये

ज़ुस्तज़ू दीदार की होती मुकम्मल किस तरह
वो अदा से ओढ़ कर घूँघट लजा कर रुक गये

है फ़ज़ाओं में खबर गुजरेंगे वो इस राह से
मोड़ पर हम सर झुका आँखें बिछा कर रुक गये

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 1118

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on February 7, 2017 at 7:20pm
'है फ़ज़ाओं में ख़बर गुज़रेंगे वो इस रहगुज़र'
इस मिसरे के आख़री शब्द 'रहगुज़र'से रवानी नहीं आ रही है,ये मिसरा यूँ कहें :-
"है फ़ज़ाओं में ख़बर गुज़रेंगे वो इस राह से"
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 7, 2017 at 6:17pm
अदरणीय मिथिलेश जी रचना पटल पे आपका अभिनन्दन वंदन..सुधार किया है आदरणीय जरा गौर फरमायें..आदरणीय समर जी..
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 7, 2017 at 6:15pm
आदरणीय डा. आशुतोष मिश्र जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2017 at 6:12pm

आदरणीय बृजेश जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. बधाई. आदरणीय समर कबीर जी के मार्गदर्शन अनुसार ग़ज़ल में सुधार करेंगे तो ग़ज़ल और निखर जाएगी. सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 6, 2017 at 4:25pm

आदरनीय ब्रिजेस जी रचना पर हार्दिक बधाई ..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 5, 2017 at 8:48pm
आपकी सह्रदयता को नमन आदरणीय समर जी..कुछ सुधार की कोशिस करता हूँ..स्नेह बना रहे..
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 5, 2017 at 8:46pm
बहुत बहुत आभार अदरणीय सुरेन्द्र इंसन जी..अभिनन्दन है
Comment by Samar kabeer on February 5, 2017 at 10:31am
मैंने तो मिसाल के तौर पर ये शैर लिख दिया है,आपके विकल्प सुरक्षित हैं । यहाँ ये बताना था कि शुतरगुर्बा दोष कैसे निकलेगा ।
Comment by surender insan on February 5, 2017 at 8:53am
वाहःहः बेहद लाजवाब जी।bahut achhe bhav ji.टाइप न कर पा या ।कुछ दिक्कत हे।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 4, 2017 at 9:37pm
उचित है..थोड़ा असमंजस और है..यहाँ आपने जो शैर दिया है उसमें न का मात्रा भार 2 लिया??ऐसा संभव है?दूसरा अगर उला मिसरे में 'देख तो' को 'देख तू' कहा जाये तो उचित होगा?सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service