For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अरे! लड़कियों जल्दी से भीतर आओ बड़ी मालकिन बुला रही हैं।" हवेली की बुजुर्ग नौकरानी ने आंगन में गा-बजा रही लड़कियों को पुकारा तो सब उत्साहित हो झट से चल पड़ी।
मालकिन की तो ख़ुशी का कोई ठिकाना न था। आखिर इकलौते पोते की पसन्द को स्वीकारने के लिए उन्होंने अपने बहू-बेटे को मना जो लिया था। पर इसके लिए उन्होंने यह शर्त भी रखी थी कि विवाह उनके पारिवारिक रीति-रिवाज से होगा। भावी वधू के साथ-साथ घर की स्त्रियां भी चाव से गहने देखने लगी।
"अरे ! ये मांग टीका अब कौन पहनता है?" होने वाली बहू की छोटी बहन ने हाथ में उठाकर बहन को सवालिया नजरों से देखा।
"हमारी संस्कृति में हर गहने का अपना महत्व होता है बेटा!" कहते हुए मालकिन माँग टीका बहू की माँग में सजा कर मुस्कुराने लगी। अभी तक इधर-उधर ठिठोली कर रही लड़कियाँ शांत होकर, सुनने के लिए,मालकिन के करीब सिमट आईं।
"ये मांगटीका देख रही हो? नववधू को ये अहसास दिलाने के लिए पहनाया जाता है कि अब से उसके सिर पर एक नही दो कुलों के सम्मान को निभाने की जिम्मेदारी है।"
"अरे बाप रे, इतनी भारी! इस नथ से तो नाक ही दुःख जाएगी भाभी की।" अपनी नाक की कील में नथ लटका कर उस से वजन का अंदाज़ा करती, वर की बहन की सहेली बोल पड़ी तो सब खिलखिला पड़े।
" नहीं नहीं, बेटा ये नाक की दुखन भी तो एक संकेत है बहू के लिए कि वो कोई भी ऐसा काम न करे जिस से दो कुलों की नाक पर कोई बात आए।"
"चूड़ियों का भी बताइये?" पीछे खड़ी छोटी मालकिन ने घूँघट में से धीरे से कहा।
" हाँ छोटी, हर दम खनकती चूड़ियाँ ये एहसास करवाती हैं कि तुम जो कहती हो, करती हो तुम जानो या न जानो पर उसकी प्रतिध्वनि दूर तक तक जाती है।"
"और ये पैरों की उँगलियों को बींधने वाले बिछुए माँ जी? इनका भी कुछ होता है?" सबसे पीछे खड़ी कौतूहल से सब देखती सुनती घर की धोबन आँखों में अचंभा भर पूछ ही बैठी।
"ये... ये तो बहुत महत्व रखतें हैं, हर पग बढ़ाने से पहले याद दिलातें है कि तुम किसी की पत्नी, किसी कुल की वधु हो,और तुम्हारा हर उठता बढ़ता कदम और उसका परिणाम, उन सब पर भी प्रभाव अवश्य डालेगा।"
"गहना का मतलब यह सब होता है अम्मा?" पीछे बैठ देर से चुपचाप सबकी बात सुन रही, नौकरानी की लड़की ने अपनी माँ की कान में फुसफुसा कर पूछा।
"हमारे लिए तो बुरे बखत के साथी होते हैं,बस्स।"नौकरानी ने साड़ियाँ तह करते हुए कहा ।

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1191

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on January 29, 2017 at 7:32am
आपकी कथा का निचोड़ अंतिम पंक्ति है जो कथ्य को आभूषणों की महिमा म॔डिता और नारी जीवन मे उनकी प्रासंगिकता से उपर ले जाकर एक सार्थक अंत देता है हार्दिक बधाई प्रिय सीमा जी
Comment by Seema Singh on January 28, 2017 at 11:58pm
शुक्रिया माला जी।
Comment by Mala Jha on January 21, 2017 at 11:31pm
गहनों की विस्तृत जानकारी देती हुई बहुत ही बेहतरीन कथा।
Comment by Seema Singh on January 21, 2017 at 12:00am
शुक्रिया आ० राजेश दीदी आपकी स्नेहिल टिप्पणी का हार्दिक आभार
Comment by Seema Singh on January 20, 2017 at 11:58pm
जी बिल्कुल सर, पहले शीर्षक ज़ेवर सोचा था अब पुनः ज़ेवर ही करती हूँ। आभार आपके मार्गदर्शन का।
Comment by Samar kabeer on January 20, 2017 at 11:47pm
अब तो आपको मालूम हो गया कि ये शब्द ही नहीं है,फिर आप शीर्षक बदल रही हैं क्या ? क्यों कि सच्चा लेखक सच्चे शब्द ही इस्तेमाल करता है,प्रचलन वाले ग़लत शब्द नहीं ।
Comment by Seema Singh on January 20, 2017 at 11:45pm
शुक्रिया आ० शहज़ाद भाई आपकी विस्तृत टिप्पणी में कई बार उलझ जाती हूँ। पर आपकी आत्मीयता बहुत मनभावन है। सादर आभार कथा पर उपस्थित होने के लिए।
Comment by Seema Singh on January 20, 2017 at 11:42pm
शुक्रिया आ० मिथलेश जी।
Comment by Seema Singh on January 20, 2017 at 11:40pm
आभार आपकी गहन टिप्पणी के लिए आ० ब्रजेश नीरज जी, परिवार की बुज़ुर्ग महिला अपना दृष्टिकोण और मान्यताएं रख रही है। भारतीय संस्कृति में आप आभूषणों के महत्व को नकार नही सकते , हमारी परंपरा का अंश है अपवाद छोड़ दें तो विवाह के उपरांत स्त्रियाँ ही पतिगृह जाती हैं आज भी , कथा कहीं भी पुरुषों को अपने दायित्व से भागने को भी तो नही कह रही है। और मेरा मानना है स्त्री अस्मिता के दौर में भी हमारी संस्कृति बाधक नही है। आधुनिकता विचारों में होनी चाहिए, सादर।
Comment by Seema Singh on January 20, 2017 at 11:17pm
आभार आ० सीमा मिश्रा जी, मैं दुरूस्त करती हूँ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service