For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाज आता नहीं सिखाने से-ग़ज़ल

2122 1212 22

जाके कह दीजिए ज़माने से
वक़्त छीने कमाने खाने से

यूँ समस्याएं खत्म क्या होंगी
सिर्फ़ इल्ज़ाम भर लगाने से

काम सरकार ग़र नहीं करती
किसने रोका है कर दिखाने से

बैठ टेली विज़न के आगे यूँ
दिन बहुर जाएगा न गाने से

खुद को बदले बिना न रुक सकता
पाप बस शोर यूँ मचाने से

मुद्दे ऐसे तो हल नहीं होंगे
राग-ढपली अलग बजाने से

देश खुद ही प्रगति के पथ होगा
भार हर एक के उठाने से

मानता ही नहीं कभी पंकज
बाज आता नहीं सिखाने से

मौलिक अप्रकाशित

Views: 708

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 28, 2016 at 9:03pm
आदरणीय समर सर सादर प्रणाम। आगे से मैं आपको समर सर नहीं लिखना चाह रहा, इसमें फॉर्मेलिटी सी लगती है, मैं आपको "गुरु जी" कहूँगा।

आपके सुझाव और आपसे मिलने वाला स्नेह ही यात्रा पथ पर आबद्ध चलने की शक्ति देता है।

सुझाये गए मिसरे को देखता हूँ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on August 28, 2016 at 4:58pm

आदरणीय पंकज कुमार मिश्र जी सादर, बहुत खूबसूरत गजल कही है. बहुत-बहुत मुबारकबाद कुबूलें. सादर.

Comment by Samar kabeer on August 28, 2016 at 3:14pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

सातवें शैर का ऊला मिसरा लय में नहीं लगता,देखियेग ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
55 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service