For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१ २ २ / १ २ २ / १ २ २ /१ २

याँ कुछ लोग जीते भलों के लिए

जिओ जिंदगी दूसरों के लिए |

गुणों की नहीं माँग दुख वास्ते 

सकल गुण जरुरी सुखों के लिए |

मैं गर मुस्कुराऊं, तू मुँह मोड़ ले

शिखर क्यूँ चढूं पर्वतों के लिए ? 

मैं किस किस की बातें सुनाऊं यहाँ

जले शमअ कोई शमो के लिए  |

मकाँ और दुकाने जो भी हैं यहाँ

जवाँ केलिए ना बड़ों के लिए |

मौलिक और अप्रकाशित   

Views: 465

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on August 28, 2016 at 11:05pm
इसमें कष्ट की कोई बात नहीं ,ये तो मेरा धर्म है,मुझसे जो भी सेवा बन पड़ेगी ,ज़रूर करूँगा, स्नेह बनाये रखें ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on August 28, 2016 at 8:50pm

आदरणीय समर कबीर साहब ,आदाब , बहुत बहुत धन्यवाद आपका | और को उर कर सकते है ,मुझे पता नहीं था | एक निवेदन करना चाहूँगा | ग़ज़ल मैंने आभी अभी सीखना शुरू किया है | गलती होना स्वाभाविक है | मैं इसी ब्लॉग में स्वरचित ग़ज़ल पोस्ट करता रहूँगा | कृपा होगी अगर समय निकाल कर एक बार आप देख ले | आपसे ज्यादा  अच्छी तरह मेरी गलती कोई और पकड़ नहीं पायगा |

कष्ट के लिए क्षमा चाहता हूँ |

सादर 

Comment by Samar kabeer on August 27, 2016 at 8:04pm
जनाब कालीपद प्रसाद जी आदाब,आपका संशय दूर करने की कोशिश करता हूँ :-
मकाँ उर/122/दुकानें/122/सभी हैं/122/यहाँ/12
जवां के/122/लिये ना/122/बड़ों के/122/लिये/12
"और"को "उर"भी कर सकते हैं ।
"शमा"का बहुवचन "शमओं"या "शमएं"होता है ।
उम्मीद है आप मुतमइन हो गए होंगे ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on August 26, 2016 at 10:10pm

आदरणीय समीर कबीर साहिब आदाब ,

मकाँ १२ और २१ दुकाने १२२ सभी १२ हैं २ यहाँ १२ 

१२२ /११२ /२१२/ २१२  हों रहा है 

सानी में 

१२ २/  १२ १ /१ २ २ /१२  दुसरे अरकान १२२ के स्थान पर १२१ हो रहा है |  कृपया विस्तार से बताने की कष्ट करें | यह बहर से बाहर नहीं हो रहा है ?

शमअ  का  बहुवचन क्या होगा, कृपया बताएं 

सादर 

Comment by Samar kabeer on August 25, 2016 at 6:28pm
जनाब कालीपद प्रसाद जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
चौथे शैर में क़ाफ़िया समझ नहीं पाया कृपया "शमो"का अर्थ बताएं ।
आख़री शैर में "मकाने"शब्द सही नहीं,ये शैर इस तरह होना चाहिए:-
"मकाँ और दुकानें सभी हैं यहाँ
जवां के लिये न बड़ों के लिये "

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service