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हम भी होली खेलते जो होते अपने देश

हम भी होली खेलते जो होते अपने देश
विधि ने ऐसा वैर निकला भेज दिया परदेश
भेज दिया परदेश लेकिन भेजी न  सोगातें
अपने हिस्से में बस आई भूली बिसरी बातें
 
यहाँ तो होली शनि रवि को शनि रवि   दीवाली  रातें
बासी रोटी बर्फ  निवाले  नाचें तब  जब  विदा बारातें
 
अनुमति लेकर रंग लगाना, ये भी कोई  रंग लगाना
 बांच के  रंग की जन्मपत्री ,डरे  डरे से  हाथ बढ़ाना   
 फीसें दे दे  नाच  सीखना, नपा तुला सा पैर उठाना
 जड़ों से हम भी  जुड़े जुड़े हैं ,सोच के स्वंय को धीर बंधाना
 
होली की सौगात तुम्हे शुभ, रंग हमारा भी ले  लेना
रहे  बधाई दीवाली की,  दीप भी तेरा तेरी रैना
 
राम वहां बनवास से आयें ,हम भी दीपक  यहाँ जलायें
भेजो कुछ हुडदंग की पाती ,हम भी सुन सुन  रंग में आयें
मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by amita tiwari on March 7, 2016 at 1:56am

हार्दिक आभार,

सादर"


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 7, 2016 at 12:14am

आदरणीया अमिता जी इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई  स्वीकारें. सादर 

Comment by amita tiwari on March 5, 2016 at 11:34pm

आपका हार्दिक आभार,

सादर"

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 5, 2016 at 11:21am

आ० अमिा जी बहुत सुंदर गीत लिखा होली पर हार्दिक बधाई l

Comment by Samar kabeer on March 4, 2016 at 9:41pm
मोहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,आपके होली गीत ने ये याद दिला दिया कि होली क़रीब आ गई है ।
वाह बहुत सुंदर गीत लिखा आपने,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by amita tiwari on March 4, 2016 at 9:03pm

 आपका हार्दिक आभार,

सादर"

Comment by kanta roy on March 4, 2016 at 10:04am
अनुमति लेकर रंग लगाना, ये भी कोई रंग लगाना
बांच के रंग की जन्मपत्री ,डरे डरे से हाथ बढ़ाना
फीसें दे दे नाच सीखना, नपा तुला सा पैर उठाना
जड़ों से हम भी जुड़े जुड़े हैं ,सोच के स्वंय को धीर बंधाना........ वाह ! क्या खूब याद आई है फिर से वो पुरानी होली , फाग का पूरा महीना ही वो फगुआ के दिन । मन को बहुत भाया आपका यह फगुआ का गीत । बधाई स्वीकार करें ।

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