For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समा गया तुम में

कभी कभी ऐसा भी होता है एहसास
की सचमुच है सचमुच के आस पास
ऐसे ही जैसे स्वास निःस्वास
हवा पानी ये समूचा आकाश
हालाँकि मालूम है
की ये खाली एहसास है
 
फिर भी चाहत होती है कि काश ये सच होता
सच होता की पा लेना इतना सरल होता
इतना आसान होता
हाथ बढ़ाया जाना
और उसमें पूरा का पूरा आकाश भर जाना
न सिर्फ एक हाथ में
बल्कि पूरे विश्वास में
हर स्वास में उच्छ्वास में
 
लेकिन समस्या है
समस्या यहीं है पहाड़ जैसी
खड़ी की खड़ी अड़ी की अड़ी
स्व के इलावा समस्त को कोसना
गली को भूलना गमलों को परोसना
 
चलो छोडो ये सब
कर भी क्या लिया हासिल हमेशा की तरह
आज भी वैसे ही केंकड़े से
मोटी खाल में सुरक्षा सा एहसास
 
आओ
आओ आज तुम्हारी बात करते हैं
चौसर की चौबारों की
खाली और अम्बारों की
असह्य  बाज़ारों की
झूठी अखबारों की
बात करते हैं
 
इन्ही में हो जाएगी सब बातें
हमारी न सही तुम्हारी ही बातें 
बस एक ही सवाल पूछना है बाकि
कि कैसे हो पाया है तुमसे
कि तुम ही तुम समाये  हो इन सब में
और समस्त समा गया तुम में
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 354

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amita tiwari on February 7, 2016 at 8:09pm

बहुत आभार .... बहुत शुक्रिया ।

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2016 at 11:55pm

आदरणीया अमिता जी आपकी प्रस्तुति का प्रवाह मुग्ध कर रहा है और भाव सीधे दिल में उतरते हुए से है. इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई 

Comment by amita tiwari on February 6, 2016 at 7:43pm

प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद…"

Comment by Sushil Sarna on February 6, 2016 at 6:59pm

आदरणीया अमित तिवारी जी दार्शनिक तथ्य को समेटे इस प्रवाहमयी  प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by Samar kabeer on February 6, 2016 at 2:21pm
मोहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,आपकी ये प्रस्तुति भी ख़ूब है,बधाई स्वीकार करें !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service