For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राह में सबके लिए फूल सजाकर देखो

२१२२  ११२२  ११२२  २२

 

अपनी खुशियों पे नया रंग चढ़ाकर देखो

बंद पिंजरे के ये पंछी तो उड़ाकर देखो

 

मेरी आँखों से बहा जाता है आँसू बनकर

अपनी यादों में कभी खुद को जलाकर देखो

 

बात बन जायेगी बिगड़ी है जो सदियों से यहाँ

तुम ज़रा अपनी अना को तो झुकाकर देखो

 

सिर्फ बातों के सहारे न हवा में उड़ना

तुम हकीकत नज़र आज  मिलाकर देखो

 

तुमको हर नेकी के बदले में मिलेगी खुशियाँ

राह में सबके लिए फूल सजाकर देखो

 

मैंने यादों के बनाये हैं महल अपने कई

ख्वाब मेरे हैं इन्हें अपना बनाकर देखो

 

पास मेरे तो ज़खीरा है तेरी यादों का

तुम भी सोये हुये जज़्बात जगाकर देखो

 

   (मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 829

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on December 8, 2015 at 4:28pm

आदरणीय सौरभ सर रचना पर आपकी टिप्पणी और सलाह का बहुत बहुत शुक्रिया .... हमने संशोधन कर दिया है आगे भी स्नेह बनाये रखें ।
सादर ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 6, 2015 at 11:58pm

नादिर भाई, आपकी ग़ज़ल पर दाद कह रहा हूँ.  आदरणीय मिथिलेश भाई की सलाह सटीक लगी. 

शुभेच्छाएँ 

Comment by नादिर ख़ान on November 25, 2015 at 7:57pm

हौसला अफजाई का शुक्रिया आदरणीय अजय कुमार साहब ....

Comment by Ajay Kumar Sharma on November 25, 2015 at 7:22pm

बेहतरीन गजल। ढेर सारी बधाइयाँ स्वीकार करें।

Comment by नादिर ख़ान on November 25, 2015 at 7:15pm

आदरणीय तेज वीर साहब आपको रचना  पसंद आई  लेखन सार्थक हुआ बहुत शुक्रिया आपका 

आभार ...

Comment by TEJ VEER SINGH on November 25, 2015 at 7:12pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नादिर खान साहब!मन के कोने कोने को छू कर गुजर गयी,आपकी यह प्रस्तुति!

बात बन जायेगी  बिगडी है जो सदियों से यहां,तुम ज़रा अपनी अना को तो झुका कर देखो!

सबसे बेहतरीन पंक्ति!

पुनः बधाई!

Comment by नादिर ख़ान on November 25, 2015 at 6:40pm

आदरणीय मिथिलेश  जी रचना को आपने सराहा आपका बहुत शुक्रिया ..

आपकी सलाह सर आँखों पर ....इन दो मिसरोन मे कौन स ज्यादा उपयुक्त लग रहा है कृपया मार्गदर्शन करें 

सिर्फ बातों के सहारे न हवा में उड़ना

तुम हकीकत से नज़र आज  मिलाकर देखो

तुम हकीकत से नज़र भी तो मिलाकर देखो 

सादर ...

Comment by नादिर ख़ान on November 25, 2015 at 6:18pm

आदरणीय सर्वोत्तम जी , आदरणीय श्याम नारायण जी एवं आदरणीय रवि शुक्ला  जी हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया .....

Comment by Ravi Shukla on November 25, 2015 at 4:09pm
आदरणीय नादिर खान साहब बहुत ही खूब सूरत ग़ज़ल हुई है दिली दाद कुबिओल करें ।
Comment by Shyam Narain Verma on November 25, 2015 at 2:43pm

 बेहतरीन रचना है दिली दाद हाज़िर है

 सादर ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
16 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
16 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service